भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। गणतंत्र दिवस 2022 से पहले, भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि अब से हर साल गणतंत्र दिवस 24 जनवरी से नहीं बल्कि 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में मनाया जाएगा। गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले से भव्य फ्लाईपास्ट होगा। देश की तीनों ताकतवर ताकतों के विमान आसमान में आकर्षण का केंद्र बनेंगे।
ये इस संविधान के 73 साल बाद होगा। लेकिन लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश का पहला गणतंत्र दिवस किस तरह मनाया गया था? दरअसल 1950 में जब भारत का संविधान लागू किया गया था तब यह दिवस कहाँ मनाया गया था? पहली गणतंत्र दिवस परेड किस जगह और कैसे हुई?
इस परेड में कौन कौन लोग शामिल हुए थे? क्या 1950 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर साल की तरह लाल किले से तिरंगा फहराया गया था? गणतंत्र दिवस 2022 के अवसर पर हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब यहां बता रहे हैं। जानिए अपने पहले गणतंत्र दिवस की कहानी।
पुराना किला के सामने स्थित ब्रिटिश स्टेडियम में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड देखी गई थी।
पहला गणतंत्र दिवस किस जगह मनाया गया था?
भारत का पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को दिल्ली में आयोजित किया गया था। पुराना किला के सामने स्थित ब्रिटिश स्टेडियम में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड देखी गई थी। वर्तमान में इस स्थान पर दिल्ली चिड़ियाघर है और स्टेडियम के स्थान पर नेशनल स्टेडियम स्थित है।
पहजी गणतंत्र दिवस परेड में न तो झांकियां निकाली गईं और न ही विमानों का कोई एयरशो हुआ। हालांकि भारत के पास डकोटा और स्पिटफायर जैसे छोटे विमान जरूर थे।
पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली के पुराना किला से पहली बार तिरंगा फहराया। झंडा फहराने के बाद परेड शुरू हुई। पहले तोप की सलामी दी गई। तोपों की आवाज से पूरा किला गूंज उठा था।
गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद रहे थे।
पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली के पुराना किला से पहली बार तिरंगा फहराया।
हर साल लाल किले तक जाने वाले राजपथ से हर वर्ष एक भव्य परेड निकाली जाती है, लेकिन 1950 की गणतंत्र दिवस परेड उतनी भव्य नहीं थी, जितनी कि वर्तमान में है। हालांकि आजाद भारत के लिए पहली गणतंत्र दिवस परेड किसी ऐतिहासिक दृश्य से कम नहीं थी। पहली गणतंत्र दिवस परेड ब्रिटिश स्टेडियम में हुई।
जिसकी एक झलक के लिए लोग कनॉट प्लेस में जमा हो गए थे। इस परेड में थल सेना, वायु और जल बलों की कुछ टुकड़ियों ने भाग लिया। उस दिन न तो झांकियां निकाली गईं और न ही विमानों का कोई एयरशो हुआ। हालांकि भारत के पास डकोटा और स्पिटफायर जैसे छोटे विमान जरूर थे।
रिपब्लिक डे पर क्या आप भारतीय संविधान से जुड़ी इन खास बातों को जानते हैं जो भारत के हर नागरिक को पता होनी चाहिए
संविधान सभा की पहली बैठक सोमवार 9 दिसंबर 1946 को सुबह 11 बजे शुरू हुई थी। इसमें 210 सदस्य उपस्थित थे। 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया। जो अंत तक इस पद पर बने रहे थे।
13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव सभा में पेश किया था । जो 22 जनवरी 1947 को पारित किया गया था ।
1. भारत एक पूर्ण संप्रभुता संपन्न गणराज्य होगा। जो स्वयं अपना संविधान बनाएगा।
2. भारत संघ में ऐसे सभी क्षेत्र शामिल होंगे। जो इस समय ब्रिटिश भारत में हैं या देशी रियासतों में हैं या इन दोनों से बाहर, ऐसे क्षेत्र हैं। जो प्रभुतासंपन्न भारत संघ में शामिल होना चाहते हैं।
3. भारतीय संघ तथा उसकी इकाइयों में समस्त राजशक्ति का मूल स्रोत स्वयं जनता होगी।
4. भारत के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद, अवसर और कानूनों की समानता, विचार, भाषण, विश्वास, व्यवसाय, संघ निर्माण और कार्य की स्वतंत्रता, कानून तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधीन प्राप्त होगी।
5. अल्पसंख्यक वर्ग, पिछड़ी जातियों और कबायली जातियों के हितों की रक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
6. अवशिष्ट शक्तियां इकाइयों के पास रहेंगी।
7. 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराकर भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की थी। अंग्रेजों के शासनकाल से छुटकारा पाने के 894 दिन बाद हमारा देश स्वतंत्र राज्य बना। तब से आज तक हर साल पुरे राष्ट्र में गणतंत्र दिवस को बड़े ही गर्व और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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