टोक्यो पैरालिंपिक में भारत की शुरुआत अच्छी रही। प्रवीण कुमार ने पुरुषों की टी-64 ऊंची कूद में एक नए एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता। यह भारत का 11वां मेडल है।
प्रवीण की एक टांग सामान्य व्यक्ति की तुलना में छोटी है,
लेकिन उन्होंने इसी कमजोरी को अपनी ताकत बना लिया और
अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर पैरालिंपिक के मुकाम तक पहुंचे।
प्रवीण ने एक इंटरव्यू में बताया है कि वह स्कूल में वॉलीबॉल खेलते थे
और उनका जंप अच्छा था। एक बार उन्होंने ऊंची कूद में भाग लिया और
उसके बाद एथलेटिक्स कोच सत्यपाल ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अभ्यास करने का सुझाव दिया।
इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अभ्यास करना शुरू किया।
प्रवीण ने जुलाई 2019 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। इस साल नवंबर में वह सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होंने वर्ल्ड ग्रां प्री में स्वर्ण पदक जीता और ऊंची कूद में 2.05 मीटर का एशिया रिकॉर्ड बनाया।
भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने अब तक टोक्यो में 2 स्वर्ण सहित 11 पदक जीते हैं। अवनि लखेरा ने महिलाओं की एसएच1-10 मीटर राइफल में स्वर्ण पदक जीता। इनके अलावा सुमित अंतिल ने ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीता। वहीं, जेविलन में एफ46 में देवेंद्र झाझरिया, डिस्कस के एफ56 में योगेश कथूनिया, टेबल टेनिस की क्लास-4 में भाविनाबेन पटेल, टी47 की हाईजंप में निषाद, टी-42 की हाईजंप में मरियप्पन थंगावेलु ने रजत पदक जीते हैं। जबकि टी42 की ऊंची कूद में शरदकुमार और एफ46 की भाला में सुंदर गुर्जर और सिंहराज अधाना ने 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता है।