पश्चिम बंगाल में शिक्षा भर्ती घोटाले में शिंकजा कसते हुए ईडी ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। ईडी ने 26 घंटे की रेड के बाद शिक्षा भर्ती घोटाले में आरोपी तत्कालीन शिक्षा मंत्री और वर्तमान उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया ।ईडी ने पार्थ चटर्जी को कोर्ट में पेश किया है, जहां से उन्हें दो दिन के लिए ED की हिरासत में भेज दिया गया। ईडी ने छापेमारी करते हुए मंत्री की करीबी एक्ट्रेस अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 करोड़ से भी अधिक की नकदी बरामद की। इसके अलावा सोना आदि भी मिला है। अर्पिता मुखर्जी से पूछताछ और जरूरी कार्रवाई के बाद उन्हें भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि पूछताछ के बाद और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के करीबी मानी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी के खिलाफ ईडी को पुख्ता सबूत मिले थे। जिसके बाद ईडी ने उनके घर पर रेड मारी। पुलिस ने इस रेड में 20 करोड़ कैश बरामद किए थे। सूत्रों के अनुसार माणिक भट्टाचार्य, आलोक कुमार सरकार और कल्याण मॉय गांगुली जैसे लोगों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक सकती है।
ये घोटाला साल 2016 में हुई भर्ती का है। 2016 में शिक्षक और अन्य पदों पर नियुक्तियों के लिए स्कूल सेवा आयोग ने वर्ष 2016 में एक परीक्षा आयोजित की थी।
27 नवंबर 2017 में उसका परिणाम आया और सिलीगुड़ी की अभ्यर्थी बबीता सरकार का नाम शीर्ष 20 उम्मीदवारों में शामिल था। लेकिन आयोग ने ये सूची रद्द कर दी थी। बाद में जो सूची आई उसमें बबीता का नाम वेटिंग में चला गया।
यहीं से घोटाला शुरू हुआ क्योंकि उससे 16 नंबर कम होने के बाद मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता का नाम लिस्ट में आ गया। जिससे इस मामले की शुरूआत हुई।
जिस समय पर ये घोटाला हुआ उस समय पर पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे जो कि अभी उद्योग और वाणिज्य मंत्री हैं। इस मामले को लेकर सीबीआई दो बार उनसे पूछताछ कर चुकी है। पहली पूछताछ 25 अप्रैल को की गई थी तो वहीं दूसरी पूछताछ 18 मई को की गई थी।
बता दें कि परेश चंद्र अधिकारी फिलहाल बंगाल सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री हैं। मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्रभाव से बेटी अंकिता अधिकारी को एसएससी में बिना मेधा तालिका में नाम आए शिक्षिका की नौकरी दिलवाई। हालांकि बाद में कोलकाता हाई कोर्ट ने अंकिता अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि जो तनख्वाह उन्होंने ली है, उसे वापस जमा कराई जाए।
अदालत ने पहले इस कथित घोटाले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जिसने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी.
इस समिति ने ग्रुप-D और ग्रुप- C पदों पर नियुक्तियों में गड़बड़ी पाई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्रुप-C और ग्रुप-D में 609 कई नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं। इसने राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीनी अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी। अदालत ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।