कैप्टन अमरिंदर सिंह को मिला 45 दिनों का अल्टिमेटम, जानिए क्या है मामला : पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम प्रताप सिंह बाजवा की अंदरूनी कलह गंभीर होती जा रही है। बाजवा ने इस लड़ाई में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले को अपना मुख्य हथियार बना लिया है। बाजवा ने इस मामले में कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को 45 दिन का वक्त दिया है।
यह मामला करीब साढ़े पांच साल पुराना है। 1 जून 2015 को दोपहर के वक्त पंजाब के बरगाड़ी से करीब पांच किमी दूर गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में स्थित गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप चोरी हो गए थे। 25 सितंबर 2015 को बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के पास हाथ से लिखे दो पोस्टर लगे मिले थे। ये पंजाबी भाषा में लिखे गए थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह को मिला 45 दिनों का अल्टिमेटम, जानिए क्या है मामला : आरोप है कि पोस्टर में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया था और इन स्वरूपों की चोरी में डेरा का हाथ होने की बात लिख सिख संगठनों को खुली चुनौती दी गई थी।
इसके करीब 17 दिन के बाद 12 अक्टूबर को गुरुद्वारे में माथा टेकने गए लोगों को आसपास नालियों और सड़क पर बिखरे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप के पन्ने मिले। मामले में पुलिस कार्रवाई से पहले ही बड़ी संख्या में सिख संगठनों के नेताओं ने बरगाड़ी और कोटकपुरा की मुख्य चौक पर प्रदर्शन दिया।
कुछ ही घंटों में हजारों सिखों का जमावड़ा लग गया। पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से भी गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग होने लगी।
14 अक्टूबर 2015 को पंजाब पुलिस ने कोटकपुरा चौक और कोटकपुरा बठिंडा रोड स्थित गांव बहबल कलां में प्रदर्शन कर रही भीड़ पर फायरिंग कर दी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों घायल हुए। मृतकों में गांव सरांवा वासी गुरजीत सिंह और बहबल खुर्द वासी कृष्ण भगवान सिंह शामिल थे। तबसे यह गोली कांड पंजाब सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
इसके बाद इस मामले की जांच पंजाब पुलिस द्वारा गठित एसआईटी और सीबीआई ने भी की लेकिन फिर भी मामले की स्थिति अस्पष्ट है। पिछले दिनों एसआईटी ने फरीदकोट जिले से डेरा सच्चा सौदा सिरसा के छह अनुयायियों को गिरफ्तार कर लिया।
इनके नाम सुखजिंदर सिंह सन्नी कंडा, शक्ति सिंह, रणजीत सिंह, बलजीत सिंह, निशान सिंह और प्रदीप सिंह हैं जिन्हें बेअदबी मामले से संबंधित दो घटनाओं में गिरफ्तार किया गया है। ये घटनाएं गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब के बाहर अभद्र शब्दावली वाला पोस्टर लगाने और बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के बाहर पावन ग्रंथ की बेअदबी करने का मामला है।
इस मामले में तत्कालीन अकाली बीजेपी सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश देकर रिटायर्ड जस्टिस जोरा सिंह के नेतृत्व में एक न्यायिक आयोग का गठन किया। जब इस आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे तो दिसंबर 2015 में सिख संगठन फॉर ह्यूमन राइट्स ने अपने स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू के नेतृत्व में एक जांच आयोग गठित की। इस आयोग ने फरवरी 2016 में अपनी रिपोर्ट जिसे तत्कालीन सरकार ने मानने से इनकार कर दिया।
मार्च 2017 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इस मामले की जांच फिर से शुरू हुई और जस्टिस रणजीत सिंह के नेतृत्व में जांच आयोग का गठन हुआ। इस आयोग ने 30 जून 2018 को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें बेअदबी मामलों में डेरा की भूमिका पर शक जताया गया।