राष्ट्रीय

स्वामी दयानंद जयंती विशेष – कौन थे महर्षि दयानंद सरस्वती ? उनके अमूल्य योगदान को समाज आज भी करता है याद

Raunak Pareek

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का काशी जिले से काफी गहरा जुड़ाव है. स्पेशली दुर्गाकुंड स्थित आनंद बाग से. जहां स्वामी जी की स्मृतियां ऐसी जुड़ी हैं कि यह स्थल सभी के लिए वंदनीय है. इसी बाग में उन्होने ऐतिहासिक शास्त्रार्थ की चुनौतियों को स्वीकार किया था और हर एक सवाल का जवाब दिया था.


इंग्लिश तारीख के अनुसार 12 फरवरी को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती देश में मनाई गई. आर्य समाज के मंत्री प्रमोद आर्य ने इस बात का जिक्र किया कि स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन की घटनाओं के बारे में बात करें तो प्रमुख पांच स्थानों में आनंद बाग का स्थान सबसे उपर है.

7 बार किया था काशी का दौरा

स्वामी जी ने अपने पूरे जीवन में सात बार काशी जिले की यात्रा की थी. दूसरी यात्रा 16 नवंबर 1869 में उन्होंने दुर्गाकुंड स्थित आनंद पार्क में की. जहां उन्होन विश्व प्रसिद्ध शास्त्रार्थ किया. इसकी अध्यक्षता तत्कालीन काशी नरेश ईश्वरी नारायण सिंह ने की थी. इसके बाद उनकी पहचान दूर-दूर तक फैल गई। इस जगह को विद्वत समाज बड़े ही सम्मान से देखता है. लोग यहां पर शीश नवाने आते हैं.

स्थल की महत्वतता को देखते हुए कई सालों पूर्व नगर निगम द्वारा दुर्गाकुंड से आनंद बाग तक जाने वाले रास्ते का नाम बदलकर महर्षि दयानंद काशी शास्त्रार्थ मार्ग रखा गया साथ ही पार्क में एक यज्ञशाला बनाकर आर्य उप प्रतिनिधि सभा को सौंपा गया. इसका उद्धाटन एक नवंबर 1977 को तत्कालीन केंद्रीय राज्यमंत्री नरसिंह यादव ने किया. उस समय से यहां सत्संग, यज्ञ तथा शास्त्रार्थ की स्मृति में वैदिक महोत्सव का आयोजन किया जाता है.

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