बृज 84 में अवैध खननः बृज 84 कोस में अवैध खनन बृज 84 कोस क्षेत्र में खनन रोकने के लिए बाबा विजय दास ने राधे-राधे कहकर खुद को आग लगा ली। वह जिंदगी की जंग हार गए लेकिन बृज 84 कोस में अवैध खनन रोकने की जंग जीत ली।
भरतपुर के पासोपा गांव में पशुपतिनाथ मंदिर के महंत बाबा विजय दास ने आदि बद्री और कंकांचल पहाड़ियों को बचाने के लिए आत्मदाह कर लिया। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
बृज के पर्वतों की पूजा की जाती है, उनकी परिक्रमा की जाती है। इन पहाड़ों को खनन से बचाने के लिए सालों से आंदोलन चल रहा था।
लोगों की मान्यता है कि ब्रज 84 कोस के पहाड़ों के दर्शन करने से चार धाम की यात्रा का फल मिलता है।
यही कारण है कि हर साल देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बृज 84 कोस के दर्शन करने आते हैं।
बृजभूमि के पहाड़, नदियां, जंगल, तालाब, वृक्ष सभी पूजे जाते हैं। आदि बद्री और कंकंचल पहाड़ियाँ भी इन्हीं का हिस्सा हैं।
बृज 84 कोस की परिक्रमा राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से होकर गुजरती है।
268 किलोमीटर की परिक्रमा मार्ग में बाकी तीर्थयात्रियों के लिए करीब 25 पड़ाव हैं।
इस पूरी परिक्रमा में करीब 1300 गांव आते हैं। कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी लगभग 1100 झीलें, 36 वन उपवन और पर्वत-पहाड़ियाँ हैं।
भगवान कृष्ण के माता-पिता तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते थे। वे बुजुर्ग थे, इसलिए भगवान कृष्ण ने सभी देवताओं को बृज में बुलाया। तब से चातुर्मास के दौरान सभी देवता बृज में निवास करते हैं। आदिबद्री और कनकांचल पर्वत पर भगवान बद्रीनाथ निवास करते हैं।