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पॉलिटिक्स : उद्धव की 'कमान' से निकला 'तीर'...तो शिंदे की होगी शिव'सेना'

उद्धव ठाकरे के हाथ से फिसली शिवसेना की कमान, अब पार्टी सिंबल 'तीर कमान' छीनने की जंग, लोकसभा स्पीकर के बाद चुनाव आयोग पहुंचेगा शिंदे गुट

Om Prakash Napit

उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना की कमान फिसलती जा रही है। पहले 40 विधायक, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और संगठन से जुड़े ज्यादातर शिवसैनिक शिंदे के साथ आ चुके, अब 19 लोकसभा सांसदों में से 12 सांसद शिंदे गुट में आ चुके हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे अब शिवसेना के सिंबल 'तीर कमान' पर अपना दावा करने जा रहे हैं। इसकी जंग शुरू हो चुकी है। मामला लोकसभा स्वीकर के अलावा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। शिवसेना के 12 लोकसभा सांसदों की शिंदे गुट 19 जुलाई को लोकसभा स्पीकर के सामने परेड करवा चुके।

शिंदे गुट का पार्टी सिंबल को लेकर चुनाव आयोग के पास भी दावा ठोकने की तैयारी में है। अब तक घटे घटनाक्रम और शिंदे पक्ष की मजबूत स्थिति से यह तो साफ हो चुका है कि उद्धव ठाकरे पर एकनाथ शिंदे हर तरफ से भारी पड़ते दिख रहे हैं। अर्थात उद्धव की कमान से 'तीर' निकल चुका और शिवसेना पर शिंदे गुट की पकड़ मजबूत हो गई है। ऐसे में पार्टी सिंबल 'तीर कमान' उद्धव ठाकरे के हाथ से निकलता दिख रहा है। हालांकि इस पर आखिरी फैसला चुनाव आयोग को करना है।

जानें अब तक का घटनाक्रम

  • सन् 2019 में शिवसेना के कुल 56 विधायक थे। इनमें से 1 की मौत हो चुकी है। यानी यह संख्या अब 55 है। 4 जुलाई को हुए फ्लोर टेस्ट में शिंदे गुट के पक्ष में 40 विधायकों ने वोट किया था।

  • 7 जुलाई को ठाणे जिले के 67 कॉर्पोरेटर में से 66 शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। इसके बाद डोंबिवली महानगरपालिका के 55 कॉर्पोरेटर उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे के साथ मिल गए हैं। वहीं नवी मुंबई के 32 कॉर्पोरेटर भी शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।

  • शिंदे गुट ने 18 जुलाई को पार्टी की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया नेता चुन गया है।

  • शिवसेना के कुल 19 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद हैं। इनमें से 12 लोकसभा सांसदों की शिंदे गुट ने 19 जुलाई को लोकसभा स्पीकर के सामने परेड करवाई है। इसके साथ ही शिंदे गुट का दावा है कि 19 सांसदों में से 18 हमारे साथ हैं। स्पीकर ओम बिड़ला ने भी बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे समर्थक सांसद राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के तौर पर मान्यता दे दी है।

सिंबल मामले में चुनाव आयोग के फैसला का तरीका

किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्य स्तर की पार्टी में कोई फूट होती है तो चुनाव आयोग फैसला करता है कि असली पार्टी किसकी है। यानी शिवसेना किसकीए इसे चुनाव आयोग ही तय करेगा। आयोग पार्टी के वर्टिकल बंटवारे की जांच करेगा। यानी इसमें विधायिका और संगठन दोनों देखे जाते हैं। चुनाव आयोग बंटवारे से पहले पार्टी की टॉप कमेटियों और डिसीजन मेकिंग बॉडी की लिस्ट निकालता है। इससे ये जानने की कोशिश करता है कि इसमें से कितने मेंबर्स या पदाधिकारी किस गुट में हैं। इसके अलावा किस गुट में कितने सांसद और विधायक हैं। ज्यादातर मामलों में आयोग ने पार्टी के पदाधिकारियों और चुने हुए प्रतिनिधियों के समर्थन के आधार पर सिंबल देने का फैसला दिया है, लेकिन अगर किसी वजह से यह ऑर्गेनाइजेशन के अंदर समर्थन को सही तरीके से जस्टिफाई नहीं कर पाता तो आयोग पूरी तरह से पार्टी के सांसदों और विधायकों के बहुमत के आधार पर फैसला करता है।

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