मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस मुख्यालय में रिव्यू मीटिंग के दौरान प्रदेश में रात 8 बजे बाद शराब बिकने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। अगर कही पर रात 8 बजे बाद शराब बिकी तो संबंधित एरिया का एसएचओ, डिप्टी एसपी व एसपी जिम्मेदार होगा। बार-बार शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही सीएम बोले कि पिछले कुछ समय में जमीन विवाद के मामले लगातार बढ़ रहे है। ऐसे में सभी तरह के माफियाओं की जांच के लिए गृह सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें यूडीएच, जेडीए, सहकारिता विभाग व पुलिस सहित अन्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। ये कमेटी भू-माफिया, बजरी माफिया, रेता माफियाओं की जांच कर दो माह में रिपोर्ट पेश करेगी। उसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में काफी संख्या में फर्जी सोसायटियां चल रही है, जो एक ही प्लॉट को कई लोगों को बेच देते है और पुरानी तारीख में पट्टे जारी कर देते है। उसके बाद लोग आपस में न्याय के लिए लड़ते रहते है। जयपुर में मामले लगातार बढ़ रहे है। फर्जीवाड़े के मामलों की संख्या करीब 50 हजार तक पहुंच गई। इन सभी मामलों में त्वरित कार्यवाही होगी
गौरतलब है की पिछले साल 23 अगस्त को अशोक गहलोत सरकार का कहना था की सूबे में किसी तरह की शराबबंदी नहीं होगी। सरकार को इससे अच्छी खासी आमदनी होती है। एक सवाल के जवाब में सरकार ने असेंबली में कहा कि वह लोगों को बेहतरीन शराब बेचकर राजस्व जुटाना चाहती है। शराब पर पाबंदी लगाने का विचार नहीं है। खास बात है कि गहलोत कई बार राज्य में शराब बंदी को लेकर बयान दे चुके हैं। पिछले दिनों उन्होंने बिहार से शराब बंदी की रिपोर्ट मंगवाई थी। उनका इरादा राजस्थान में भी शराब को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का लग रहा था। लेकिन एक एक्शन के बाद कुछ समय ही संज्ञान दिखाई देता है। फिर से काम आया राम गया राम हो जाता है।
गहलोत ने रिव्यू मीटिंग में कहा की प्रदेश में लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे गैंगस्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यालय स्तर पर सख्त प्लान बनाया जाएगा। हालांकि प्रदेश में हुई बड़ी वारदातों के बाद राजस्थान पुलिस ने पीछा करके बदमाशों को गिरफ्तार किया है।
इस दौरान सीएम बोले कि प्रदेश में एफआईआर कंपल्सरी करने से अपराध के आंकड़ों की संख्या जरूर बढ़ी है, लेकिन परिवादी को चक्कर लगाने कम हुए है। क्योंकि कोर्ट के जरिए दर्ज होने वाले मुकदमों की संख्या घट गई। महिला अत्याचार के मुकदमों की जांच का समय वर्ष 2018 में 168 दिन था। नए प्रयोग के बाद घटकर 69 दिन रह गया। इसी तरह एससी-एसटी धाराओं के तहत दर्ज होने वाले मुकदमों में जांच का समय 231 से 79 दिन रहे गया। पुलिस को सहयोग के 1000 हजार होमगार्ड देने की घोषणा की है। एनसीआरबी रिपोर्ट में राजस्थान के आंकड़े बढ़ाकर दिखाए गए है। जिसकी वजह राजस्थान का अनावश्यक बदनाम हुआ।
गहलोत की हिदायत पर मंत्रालय के अधिकारियों ने बिहार जाकर वहां पर चल रही शराब बंदी की नीति का अध्ययन भी किया था। उन्होंने देखा था कि नीतीश सरकार कैसे बिहार को शराब के मामले में फ्री बनाए हुए है। राजस्थान सरकार की एक 4 सदस्यों की टीम ने 5 दिन तक बिहार में रहकर एक रिपोर्ट भी तैयार की। इसमें बताया गया कि बिहार में शराबंदी से वहां के लोगों के जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है। दिसंबर 2020 में बिहार गई इस टीम ने गोपालगंज के सीमावर्ती इलाकों का दौरा करने के बाद रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन तब राजस्थान सरकार ने अधिकारियों की इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में रखते हुए नई आबकारी नीति जारी कर दी थी।