राजस्थान में गहलोत सरकार ने नव वर्ष पर कई प्रशासनिक अधिकारियों को बड़ा तोफा दिया है। इस नए साल पर कई अधिकारियों को प्रमोशन दिया है। तो वही हर तबके के कर्मचारी को भी इस नए साल के अवसर पर सौगात दी है।
प्रशासनिक कामकाज के लिए रिटायर IAS-IPS अफसरों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत विश्वसनीय और योग्य मानते हैं। वे IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद किसी न किसी आयोग, बोर्ड, कमेटी आदि की कमान सौंप रहे हैं।
सीएम अशोक गहलोत ने अपने पिछले बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करके एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला था. वहीं इस बार पेश होने वाला बजट गहलोत सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम बजट है. ऐसे में गहलोत सरकार खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को लागू करके एक बार फिर कर्मचारियों को साधने की कोशिश कर सकती है. क्योंकि सरकार जानती है कि अगर कर्मचारी चुनाव में उसके साथ आए तो सत्ता में वापसी की राह आसान हो सकती है. ऐसे मानकर चला जा रहा है कि इस बजट में कर्मचारियों को चुनावी तोहफा मिलना लगभग तय है. वहीं अगर कमेटी के अनुसार विसंगतियों को दूर किया जाता है तो प्रत्येक कर्मचारी को फाइनेंशियल फायदा होगा. जिसकी आस में कर्मचारी पिछले कई बरसों से लगाए बैठा हैं.
रोचक बात यह भी है कि इनमें प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक जैसे शीर्षतम पदों पर रहने वाले अफसर भी शामिल हैं।
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के अनुभवी जानकारों का कहना है कि संभवत: पूरे देश में गहलोत अकेले सीएम हैं, जिन्होंने एक ही कार्यकाल में इतनी बड़ी संख्या में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स पर इस तरह का विश्वास जताया है। राजस्थान में तो उनसे पहले किसी भी सीएम ने 5-6 से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स को इस तरह की पोस्टिंग नहीं दी है। दो दिन पहले ही गहलोत ने रिटायर हुए IAS अफसर चेतन देवड़ा को राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण का सदस्य बना दिया है।