राजस्थान की राजनीती रीट मामले पर तेजी से हिचकोले मारने लगी है। पक्ष और विपक्ष भी अब जमीन के बजाये सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर कटाक्ष कर रहे है।
वही विधायकों को बोर्ड निगमों में अध्यक्ष बनाने को असंवैधानिक बताकर सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बीच ट्विटर पर जबर्दस्त भिड़ंत हो गई। यह वॉर सोशल मीडिया पर लगातार होती रही और राजस्थान की जनता भी इनबॉक्स में कमेंट कर सुझाव दे रही थी। दोनों नेताओं के बीच खूब वार पलटवार हुए। शुरुआत राठौड़ के ट्वीट से हुई जिसमें उन्होंने लिखा कि विधायकों को लाभ का पद देना असंवैधानिक है।
किसी भी विधायक को कोई लाभ नहीं दिया गया है।
फिर क्या था राजेंद्र राठौड़ के ट्वीट पर पलटवार करते हुए सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा ने लिखा- प्रिय राजेंद्र राठौड़जी, आपने खुद के लिए उप नेता, प्रतिपक्ष,राजस्थान विधानसभा लिखा हुआ है। क्या यह पद राजस्थान विधानसभा के किसी भी नियम में है? कोर्ट का आदेश मंत्रियों की संख्या और ऑफ़िस ऑफ प्रोफ़िट के लिहाज़ से है, किसी भी विधायक को कोई लाभ नहीं दिया गया है।
तब वर्तमान सरकार में मंत्री रमेश मीणा जी को उपनेता प्रतिपक्ष क्यों बनाया?
इस पर राठौड़ ने जवाब देते हुए लिखा- सलाहकार महोदय, आपको मेरी सलाह है कि आप जैसे योग्य व्यक्ति को टिकट से वंचित रखने वाली कांग्रेस पार्टी के सीएम अशोक गहलोतजी से पूछना कि 14वीं विधानसभा में जब कांग्रेस में मिनी बस सवारी जितने 21 MLA थे, तब वर्तमान सरकार में मंत्री रमेश मीणा जी को उपनेता प्रतिपक्ष क्यों बनाया?
राठौड़ के ट्वीट पर संयम लोढ़ा ने फिर जवाब देते हुए निशाना साधा। लोढ़ा ने लिखा- भाजपा में मेरे मेधावी दोस्त आज उपनेता बनने पर मजबूर है। अशोक गहलोत जी कहते हैं, हर गलती कीमत मांगती है और इसका सबसे सही उदाहरण आप हैं। न शाखाओं पर हमले करते और न आज आपके ये हाल होते! शेखावत जी के असली वारिस को देखो कैसे दिन देखने पड़ रहे हैं
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