राजनीति

BJP CM Face: तीनों नए CM का क्या है पुश्तैनी पेशा? जानें कैसे तय किया सीएम तक का सफर

Om Prakash Napit

BJP New CM: मोहन यादव की आज बुधवार को मध्य प्रदेश में सीएम पद पर ताजपोशी होगी। मोहन लाल भोपाल के मोतीलाल नेहरू ग्राउंड में शपथ लेंगे। वहीं, विष्णुदेव साय भी आज ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

इसके अलावा पहली बार के विधायक बने भजनलाल शर्मा को राजस्थान का ताज मिल रहा है। भजनलाल 15 दिसंबर को सीएम पद का शपथ लेंगे। यहां बड़ी बात यह है कि तीनों की मुख्यमंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पृष्ठभूमि से हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि तीनों सीएम का पुश्तैनी पेशा क्या रहा है? यहां जानें पूरी जानकारी।

भजनलाल शर्मा: सरपंच से राजनीति की शुरुआत

राजस्थान के मनोनीत मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भरतपुर के रहने वाले हैं। कभी भरतपुर में एक ठेकेदार के यहां मुनीम का काम करते थे। भजनलाल शर्मा एक किसान परिवार से हैं. उनके पिता कृष्ण लाल शर्मा उन्हें अध्यापक बनाना चाहते थे। इसी वजह से उन्होंने बीएड करवाई थी। भजनलाल ने अपने चुनावी हलफनामे में व्यवसाय खेती और खनन सप्लाई बताया है। राजनीतिक विज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले भजनलाल ने एबीवीपी से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। वह सिर्फ 27 साल की उम्र में सरपंच बन गए थे और एक बार पंचायत समिति के सदस्य भी रहे हैं।

बीजेपी के बागी के रूप में लड़ चुके चुनाव

भजनलाल शर्मा पिछले 34 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं। वो एक बार बीजेपी के बागी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, तब उनकी जमानत जब्त हो गई थी। 2003 में राजस्थान सामाजिक न्याय मंच का प्रतिनिधित्व करते हुए भाजपा के बागी के रूप में भरतपुर के नदबई से विधानसभा चुनाव लड़ा और सिर्फ 5969 वोट मिला। 25 नवंबर के विधानसभा चुनाव में जयपुर जिले के सांगानेर से चुने गए भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने हैं। इसके बाद बीजेपी ने भजन लाल को राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री नामित किया है। भजनलाल शर्मा को पार्टी संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) दोनों के करीबी माना जाता है।

विष्णुदेव साय: पंच से सीएम तक का सफर

भाजपा ने रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके आदिवासी नेता साय (59) को नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना। बगिया की प्राथमिक शाला में प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने कुनकुरी के लोयोला मिशनरी स्कूल में एडमिशन लिया। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह अंबिकापुर गए। जब वह प्रथम वर्ष में थे, तभी उनके पिता रामप्रसाद साय का निधन हो गया। घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए वह पढ़ाई छोड़कर गांव वापस आ गए। विष्णुदेव साय ने 1989 में पंच का चुनाव लड़ा और उन्हें जीत हासिल की थी। इसके बाद 1990 में उन्हें ग्राम पंचायत बगिया के सरपंच के तौर पर निर्विरोध चुना गया।

विरासत में मिली राजनीति

विष्णु देव साय को जनसंघ की विरासत अपने दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय से मिली। उनके दादा स्वतंत्रता के पश्चात सन् 1947 से 1952 तक तत्कालीन सीपी एंड बरार विधानसभा में मनोनीत विधायक भी रहे। साय का परिवार शुरू से ही जनसंघ से जुड़ा रहा। उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय वर्ष 1977-79 तक जनता पार्टी सरकार में संचार राज्य मंत्री रहे। विष्णुदेव साय किसान परिवार से आते हैं और खेती किसानी में बहुत रुचि रखते हैं। नदी के तट पर अपने घर में वह सब्जियां उगाते हैं। कोरोना काल में वह गांव में सब्जी उगाते रहे और अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहे। मुख्यमंत्री साय जंगली जड़ी-बूटियों के अच्छे जानकार हैं। वह पथरी की अचूक दवा देते हैं. उनके कई लाभार्थी उनकी दवा की तारीफ करते हैं।

मोहन यादव: 2013 में पहली बार बने विधायक

मोहन यादव 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक चुने गए थे। उन्होंने 2018 और फिर 2023 में विधानसभा सीट बरकरार रखी। मोहन यादव को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का करीबी माना जाता है और उन्हें शीर्ष पद के दावेदार के रूप में नहीं देखा जा रहा था। वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आते हैं, जिनकी संख्या राज्य की जनसंख्या में 48 प्रतिशत से अधिक है। मोहन यादव ने चुनावी हलफनामे में खुद को बिजनेसमैन, वकील और किसान बताया है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी का व्यवसाय भी बिजनेस और खेती बताया है।

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