उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद अब शिवसेना टूटने के कगार पर खड़ी है। सीएम उद्धव ठाकरे ने जनता के लिए एक भावनात्मक संदेश जारी कर अब अपने सरकारी आवास यानि वर्षा बंगले से अपना सारा सामान लपेट कर मातोश्री पहुंच गए हैं। इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि विधायकों की तरह शिवसेना के 19 सांसदों में से करीब 8-9 सांसद भी उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं। हालांकि, दलबदल विरोधी कानून के चलते शिवसेना में रहना उनकी मजबूरी होगी।
सूत्रों के मुताबिक वे सत्ता परिवर्तन का इंतजार कर रहे हैं और शिंदे को शिवसेना की पूरी कमान मिलते ही वे उद्धव से अलग खड़े हो जाएंगे। इनके अलावा कुछ और नाम भी हैं जो आज सामने आ सकते हैं। एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे, ठाणे के लोकसभा सांसद राजन विचारे और नागपुर के रामटेक सांसद कृपाल तुमाने भी पार्टी से नाराज हैं।
एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल
कुछ अन्य लोगों में ठाणे से सांसद और एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल है। उनके साथ ही मराठवाड़ा के कुछ सांसद भी उद्धव के फैसलों से नाराज हैं। उनका कहना है कि लोकसभा में 19 सांसदों के साथ मजबूत स्थिति में खड़े होने के बावजूद उद्धव मुंबई तक ही सिमट कर रह गए हैं और कई बार कहने के बावजूद उनसे जुड़े कार्यकर्ताओं को पार्टी में लगातार उपेक्षित किया जा रहा है।
दल-बदल विरोधी कानून विरोधी कानून है, जो विधायकों या सांसदों को दल बदलने से रोकता है। दरअसल, अगर कोई विधायक चुनाव से पहले पार्टी बदलता है, तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर वह किसी एक पार्टी से जीतकर ऐसा करता है, तो उसे पहले लोकसभा से इस्तीफा देना होगा और उसकी सीट पर फिर से चुनाव होगा।
सांसदों के पक्ष बदलने से राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा असर
राष्ट्रपति चुनाव 2022 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा न होने के कारण प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 700 हो गया है। ऐसे में अगर शिंदे गुट के पास ज्यादा सांसद हैं और वे शिवसेना के असली उत्तराधिकारी बनते हैं तो विपक्ष को नुकसान उठाना पड़ सकता है।