Tulsi Pujan Diwas : क्रिसमस नहीं, 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस भी मनाएं, कई संस्थान और लोग भी आए आगे 
राजस्थान

Tulsi Pujan Diwas : क्रिसमस नहीं, 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस भी मनाएं, कई संस्थान और लोग भी आए आगे

Rajesh Singhal

Tulsi Pujan Diwas :सनातन धर्म में तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है।

ठाकुर जी को अर्पित किया गया भोग भी तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। यही नहीं, मांगलिक कार्यों में भी तुलसी पूजन को प्राथमिकता दी गई है।

हालांकि, पाश्चात्य संस्कृति की तरफ बढ़ते कदमों के बीच तुलसी पूजन कम होने लगा। भगवान नारायण के पूजन के लिए हमेशा से तुलसी को अग्रणी रखा गया है।

यही वजह है कि हर परिवार के आंगन में तुलसी को स्थान भी मिला है, और इसका पूजन भी किया जाता है।

मान्यता है कि जहां तुलसी होती है वहां साक्षात लक्ष्मी का निवास होता है, लेकिन समय के साथ लोग तुलसी पूजन के महत्व को भूलते जा रहे हैं। इसी महत्व को समझाते हुए 25 दिसंबर को तुलसी दिवस मनाया जाता।

मातस्तुलसि गोविंद हृदयानंद कारिणी. नारायणस्य पूजार्थ चिनोमि त्वां नमोस्तुते ...

पौराणिक ग्रंथों में लिखित इस श्लोक से स्पष्ट है कि भगवान नारायण के पूजन के लिए हमेशा से तुलसी को अग्रणी रखा गया है।

यही वजह है कि हर परिवार के आंगन में तुलसी को स्थान भी मिला है और इसका पूजन भी किया जाता है।

मान्यता है कि जहां तुलसी होती है वहां साक्षात लक्ष्मी का निवास होता है, लेकिन समय के साथ लोग तुलसी पूजन के महत्व को भूलते जा रहे हैं। इसी महत्व को समझाते हुए 25 दिसंबर को तुलसी दिवस मनाया जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं अक्षय गौतम ने बताया कि धर्म ग्रंथों में स्पष्ट लिखा है कि तुलसी के दर्शन मात्र से पाप, दुख और दरिद्रता खत्म हो जाती है, और शुभ संपत्तियों का आगमन होता है।

चूंकि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि महीनों में वो मार्गशीर्ष हैं और तुलसी भी भगवान को प्रिय है। ऐसे में इस दौरान तुलसी की उपासना का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है।

ऐसे में मार्गशीर्ष के इस महीने में तुलसी पूजन दिवस को प्रत्येक व्यक्ति को मनाना चाहिए। साथ ही नई पीढ़ी को इस विषय में बताना भी चाहिए।

संस्कृति को साथ लेकर आगे बढ़ें

नारायण विहार में रहने वाली मोनिका निरवपटेल ने बताया कि तुलसी पूजन मुख्य उद्देश्य यही है कि वर्तमान में लोग सनातन संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भाग रहे हैं।

प्रयास यही है कि वो अपनी संस्कृति को छोड़कर नहीं बल्कि संस्कृति को साथ लेकर आगे बढ़े। बच्चे सनातन संस्कृति से जुड़े पर्वो को भी जाने।  इस अवसर पर प्रीती अग्रवाल, ज्योती जोशी, रेखा शर्मा, प्रतिमा त्रिपाठी आदि शामिल थे।

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