राजस्थान

CM गहलोत के भाई पर CBI ने फिर मारा छापा

इस मामले को लेकर फिलहाल ED में भी जांच लंबित है। इसी मामले को लेकर कस्टम विभाग भी पूर्व में अग्रसेन (Agrasen Gehlot) की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगा चुके है,

Pulkit Sharma

राजस्थान के CM गहलोत (Ashok Gehlot) के भाई पर एक बार फिर से CBI का छापा पड़ा है। ये छापा अग्रसेन गहलोत (Agrasen Gehlot)के घर और दुकान पर मारा गया है। उनके ऊपर आरोप है कि साल 2007 से 2009 के बीच फर्टिलाइजर बनाने के लिए जरूरी पोटाश (Potash) को किसानों को बांटने के नाम पर सरकार से सब्सिडी पर खरीदी लेकिन इसके बाद इन उत्पादों को निजी कंपनियों को बेचकर मुनाफा कमाया गया था।

इस मामले को लेकर फिलहाल ED में भी जांच लंबित है। इसी मामले को लेकर कस्टम विभाग भी पूर्व में अग्रसेन (Agrasen Gehlot) की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगा चुके है, हालाँकि तब अग्रसेन (Agrasen Gehlot) की अपील पर हाईकोर्ट ने ईडी (ED) से जुड़े इस मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। अब इस मामले में सीबीआई (CBI) ने फिर से जांच शुरू की है।

अचानक पहुंची CBI की टीम
छापामारी के लिए CBI की टीम यकायक अग्रसेन के घर पहुंची। जिस समय CBI की टीम पहुंची तभी अग्रसेन (Agrasen Gehlot) घर पर ही थे। फ़िलहाल टीम जांच में जुटी हुई है और किसी को भी अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। सूत्रों की माने तो एक टीम अग्रसेन (Agrasen Gehlot) की पावटा स्थित दुकान पर भी पहुंची है।
क्या है मामला
ईडी (ED) के अफसरों की माने तो अग्रसेन गहलोत (Agrasen Gehlot) की कंपनी अनुपम कृषि, म्यूरियेट ऑफ पोटाश (एमओपी) फर्टिलाइजर जैसे उत्पादों के निर्यात में शामिल थी जबकि इनके एक्सपोर्ट पर पहले से बैन है। इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) एमओपी को इम्पोर्ट करके किसानों को सब्सिडी पर बेचती है।

अग्रसेन गहलोत (Agrasen Gehlot) IPL के आधिकारिक डीलर थे। साल 2007 से 2009 के बीच उनकी इस कंपनी ने एमओपी को सब्सिडी पर तो खरीदा लेकिन इस उत्पाद को किसानो को बेचने के बयाजये निजी कंपनियों को बेच दिया गया। जिन कंपनियों ने एमओपी को खरीदा उन्होंने इसे इंडस्ट्रियल सॉल्ट के नाम पर मलेशिया और सिंगापुर भेज दिया।

साल 2012 में हुआ था खुलासा
ये माला सबसे पहले साल 2012 में सामने आया था जब डायरेक्ट्रोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने फर्टिलाइजर घोटाले का खुलासा किया। कस्टम विभाग ने इस मामले को लेकर तब अग्रसेन (Agrasen Gehlot) की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया था जिसके बाद भाजपा ने साल 2017 में मामले को जमकर उठाया था। अब एक बार फिर से ये मामला चर्चा में आने को है।

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