कांग्रेस में कलह!, रावत ने बताई चुनाव न लड़ने की वजह
कांग्रेस में कलह!, रावत ने बताई चुनाव न लड़ने की वजह 
राजस्थान

कांग्रेस में कलह!, रावत ने बताई चुनाव न लड़ने की वजह

Madhuri Sonkar

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। राजसमंद से कांग्रेस ने प्रत्याशी के रूप में सुदर्शन सिंह रावत को चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरा था।

हालांकि अब सुदर्शन सिंह रावत ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब इस पार्टी के किसी नेता ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

इससे पहले पूर्व राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं।

हाल ही में कांग्रेस को जयपुर लोकसभा सीट पर सुनील शर्मा का टिकट प्रतापसिंह खाचरियावास को देना पड़ा है।

कौन है राजसमंद प्रत्याशी सुदर्शन रावत

राजसमंद की जिस सीट से बीजेपी ने महिमा विशेश्वर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। उसी सीट से कांग्रेस ने सुदर्शन सिंह को चुना था पर अब उन्होंने चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है।

बता दें कि सुदर्शन सिंह रावत के दादा फतेह सिंह विधायक और पिता लक्ष्मण सिंह पूर्व मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की उन्हें राजनीती विरासत में मिली है।

रावत इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। चुनाव में रावत ने बीजेपी के हरि सिंह चौहान को 3714 वोट से हराया था।

विधानसभा में हार के बाद लोकसभा में लड़ने का अधिकार नहीं

सुदर्शन रावत ने खुद प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा को एक खत लिखकर चुनाव न लड़ने के साथ ही टिकट लौटाने की पेशकश कर दी।

रावत ने पत्र में लिखा कि उन्हें उम्मीदवार बनाने से पहले रजामंदी नहीं ली गई थी। उन्होंने मेवाड़ के एक बड़े नेता पर आरोप लगाते हुए कहा कि रायशुमारी के दौरान शीर्ष नेताओं को अंधेरे में रखकर राजसमंद से मेरा नाम प्रस्तावित करवा दिया गया। यहां तक की उन्हें प्रत्याशी बनने की सूचना भी सोशल मीडिया से मिली।

रावत ने कहा कि कारोबार के सिलसिले में वह दो महीने विदेश दौरे पर रहेंगे। ऐसे में इस तरह के निर्णय उचित नहीं हैं।

रावत ने पत्र में आगे लिखा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में हार जाने के तीन महीने बाद ही लोकसभा चुनाव लड़ने का उनका हक नहीं है।

पार्टी यहां पर किसी योग्य व्यक्ति को टिकट देकर चुनाव लड़ाए। सुदर्शन का चुनाव न लड़ने का एक कारण यह हो सकता है।

सूत्रों की माने तो शायद उन्होंने राजसमंद से न लड़ने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उनके सामने बीजेपी से महिमा विशेश्वर सिंह मौजूद है।

महिमा के सामने लड़ना रावत के सामने एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि महिमा राजघराने से ताल्लुक रखती है।

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