देशभर में बिजली संकट छाया हुआ है और इस संकट के बीच राजस्थान के हालात और भी खराब हैं। बिजली संकट इतना गहरा गया है कि पुरा प्रदेश अंधेरे के आगोश में समा सकता है कई बिजलीघरों में अलग-अलग कारणों से पांच युनिट बंद हैं। इससे बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। विंड मिल से पिछले 2-3 दिनों से सप्लाई हो रही 2500-2600 मेगावाट बिजली आज अचानक घटकर 100 मेगावाट रह गई है। पवन ऊर्जा आपूर्ति से पिछले कुछ दिनों से राहत मिली थी, लेकिन हवा की गति कम होने से अचानक आपूर्ति ठप हो गई है।
राज्य में बिजली की भारी कमी से 1.52 करोड़ बिजली उपभोक्ता प्रभावित होंगे। जिसमें करीब 1 करोड़ 19 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं। इनमें से वाणिज्यिक 14 लाख, औद्योगिक 3.54 लाख उपभोक्ता हैं। कृषि में करीब 15.41 लाख बिजली कनेक्शन हैं।
वहीं कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की दूसरी 600 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल इकाई तकनीकी कारणों से ठप पड़ी है। कालीसिंध की एक और इकाई पहले से बंद है। इसके साथ ही अब विभिन्न पावर प्लांट्स की ठप पड़ी इकाइयों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है। वहीं, 1720 मेगावाट क्षमता के 4 विभिन्न थर्मल पावर प्लांट्स तकनीकी कारणों से पहले ही बंद हैं। इस तरह सरकारी थर्मल पावर के 2320 मेगावाट और पवन ऊर्जा के 2500 मेगावाट के उत्पादन में कमी के कारण 4820 मेगावाट की कमी हुई है।
बिजली की कमी के चलते मार्च 2022 में सीएम गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से परसा कोल माइंस से राजस्थान के खनन की मंजूरी के लिए मुलाकात की थी। तो उन्होंने कहा था कि राजस्थान को मदद नहीं मिली तो ब्लैकआउट हो सकता है। 4500 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट ठप हो सकते हैं। उसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन की मंजूरी दे दी, लेकिन उत्पादन शुरू होने और कोयला राजस्थान तक पहुंचने में इस महीने के अंत तक का समय लग सकता है।