News: पाकिस्तान से सटा राजस्थान का एक हिस्सा इन दिनों युद्ध के मैदान सा दिख रहा है। यहां एक के बाद एक मिसाइलों और गोला-बारूद के धमाकों की गूंज सुनाई दे रही है। 'दुश्मन' के खिलाफ जंग की इस तैयारी में धमाकों की ये गूंज पड़ोसी मुल्क तक को थर्रा रही है।
इस तरह की तस्वीर दरअसल, दिख रही है भारत-पाक सरहद से सटे जैसलमेर स्थित एशिया की सबसे बड़ी पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में।
यहां जारी एक युद्धाभ्यास में सुबह से लेकर शाम तक गोला-बारूद के धमाकों की गूंज धरती से लेकर आसमान तक को हिला रही है।
कुछ इसी तरह का नज़ारा दिखा भारतीय सेना की थिएटर आर्टिलरी की ओर से हुए गोला-बारूद के परीक्षण के दौरान।
पूर्वी कमान के कमांडर ले. जनरल आरसी तिवारी की मौजूदगी में सेना के बहादुर जवानों ने सतह से सतह पर मार करने वाले हथियारों का फायर पावर प्रदर्शन भी करके दिखाया। थिएटर आर्टिलरी ने एक साथ कई लक्ष्यों को भेदा। जिसमें सेना की उन्नत प्रौद्योगिकी का नजारा सामने आया।
जानकारी के अनुसार फायरिंग रेंज में इन दिनों सेना की तरफ से आज के दौर में संभावित युद्ध में काम आने वाली नई तकनीकी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। रेंज में Drone से युद्धाभ्यास का जायजा लिया गया। सेना के गनर्स ने मारक क्षमता का अभ्यास किया।
दरअसल सेना अपनी युद्धक तैयारियों का जायजा लेने में ड्रोन तकनीकी के इस्तेमाल का अभ्यास भी कर रही है। सेना ने इस अभ्यास को ‘ये अभ्यास हमारे दुश्मनों के लिए एक चेतावनी, हमारे दोस्तों के लिए एक वादा है’ की कैचलाइन के अंतर्गत किया।
ले. जनरल आरसी तिवारी ने पूर्वी कमान के गनर्स के प्रदर्शन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह हमारी अदम्य भावना और अडिग शक्ति की घोषणा थी। हम आने वाली लड़ाइयों की नियति को स्वरूप देने के लिए तैयार हैं। हमारी सेनाओं की महिमा के साक्षी बनें।
गौरतलब है कि सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट भारतीय सेना की दूसरी सबसे बड़ी शाखा है। इसका काम जमीनी अभियानों के समय सेना को मारक क्षमता प्रदान करना है। इस रेजीमेंट ने करगिल युद्ध के समय लगभग ढाई लाख गोले और रॉकेट दागे थे। इसके साथ 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने उस दौरान प्रतिदिन लगभग 5000 बम फायर किए थे।