Jaipur Protest: राजस्थान के जयपुर में पुलवामा शहीदों की वीरांगनाएं परिवार सहित धरना दे रही हैं, लेकिन सरकार है कि उनकी समस्याओं का समाधान करने की बजाय दमनात्मक रवैया अपनाए हुए है। पहले इन वीरांगनाओं संग पुलिस ज्यादती का आरोप लगा तो अब इन्हें रातों रात जबरन धरने से हटा दिया गया है। ऐसे में अब यह मामला अधिक तूल पकड़ने वाला है।
पुलिस ने गुरुवार देर रात 3 बजे वीरांगनाओं को धरने से हटाया, जिसके बाद अब आरोपों पर पुलिस ने भी अपना बयान जारी किया किया है। पुलिस का दावा है कि वीरांगनाओं की तबीयत खराब हो रही थी। ऐसे में उन्हें धरने से उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इधर, बीजेपी सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने वीरांगनाओं की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। जयपुर में वीरांगनाओं को धरने से हटाने के मामले में अब सियासत और तेज होती जा रही है। गौरतलब है कि मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाएं परिवार सहित धरना दे रही थीं।
वीरांगनाओं की मांग है कि सीएम उनसे मिलें और उनकी मांगे मानें। इस पूरे प्रदर्शन में BJP सांसद किरोड़ी लाल मीणा लगातार वीरांगनाओं के साथ बने हुए हैं। इससे पहले 5 मार्च को जब ये वीरांगनाएं सीएम से मिलने के लिए बढ़ रही थीं तभी पुलिस पर इनसे दुर्व्यहार का आरोप भी लगा था।
बता दें कि जिन आरोपों पर अब पुलिस सफाई दे रही है दरअसल, ये सवाल तब उठे थे जब पुलिस ने पिछले 10 दिन से चल रहा प्रदर्शन रातों रात हटा दिया। बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने आरोप लगाए कि पुलिस के दम पर वीरांगनाओं की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।
डीसीपी ने बयान देकर कहा कि डॉक्टर लगातार स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे थे, जिसमें दो वीरांगनाओं के Vitals कम पाए गए थे। पुलिस के मुताबिक, दोनों वीरांगनाओं की सहमति के बाद ही उन्हें घर के नजदीक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जबकि तीसरी वीरांगना मधुबाला को उनके परिजनों को सुपुर्द किया गया।
धरने पर बैठीं वीरांगनाओं की आखिर मांगें क्या हैं, आइए इसके बारे में जानते हैं। शहीद जीतराम की वीरांगना अपने देवर को नौकरी दिलाना चाहती हैं। वहीं, शहीद रोहिताश्व लांबा की वीरांगना भी अपने देवर के लिए नौकरी की मांग कर रही हैं। इसके अलावा शहीद हेमराज की वीरांगना की मांग है कि उनके पति की प्रतिमा चौराहे पर स्थापित की जाए। साथ ही उन्होंने सड़क निर्माण की भी मांग की है।
वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि शहीदों के परिवार की ये मांगें जायज नहीं हैं। सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हम शहीद के बच्चों के अधिकारों को रौंद कर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देने को कैसे जायज ठहरा सकते हैं? बड़े होने पर शहीद के बच्चों का क्या होगा? क्या उनके अधिकारों को कुचलना सही है? लेकिन वीरांगनाओं का कहना है कि नौकरी उनका हक है।