राजस्थान

Rajasthan: मासूम की पिटाई पर सियासत! विरोध जायज पर जातिवाद से जोड़ना कहां तक उचित, इस्तीफों से दबाव की राजनीति?

जालोर में 3 साल के मासूम की शिक्षक द्वारा पिटाई मामले का देशभर में विरोध हो रहा है। अब कुछ बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है। जिसके बाद घटना को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है। क्या इस मामले को जातिवाद से जोड़ कर कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश तो नहीं कर रहे है? इस मामले पर अभी किसी भी तरह का खुलासा नहीं हुआ है। इधर, विधायक मेघवाल समेत कई जनप्रतिनिधियों ने घटना के विरोध में इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेजा है।

Kunal Bhatnagar

राजस्थान के जालोर में एक मासूम की मौत हो गई। तमाम बड़े मीडिया संस्थान खबर चला रहे है कि छात्र का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने पानी पीने के लिए उस मटके को छुआ था जिससे टीचर छैल सिंह पानी पीते हैं। शिक्षक के पीटने के कारण मासूम की मौत हो गई। लेकिन अब बड़ा सवाल की आखिर इस घटना के बारे में जो भी खबरें चल रही है, उनकी सच्चाई आखिर क्या है? क्या वास्तव में मटके में से पानी पीने या दलित होने के कारण मासूम की पीटाई की गई थी? आरोप लग रहा है कि जिस तरह से इस मामले को दिखाया जा रहा है इसके पीछे की सच्चाई बिल्कुल अलग है। इधर, विधायक मेघवाल समेत कई जनप्रतिनिधियों ने घटना के विरोध में इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेजा है।

स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष का बड़ा दावा

स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा ने शिक्षक के द्वारा की गई पीटाई की बात को स्वीकार करते हुए इसे कानूनन और व्यहवारी रुप से गलत ठहराया। लेकिन उनके द्वारा दावा किया गया कि इस मामले को जिस तरह से दिखाने की कोशिश की जा रही है सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। अनिल वीडियो में मटके से पानी पीना और घटना को जातिवादी रूप देने की बात को टोटल झूठ मान रहे है। उनका कहना है कि इस घटना पर औछी राजनीति की जा रही है। सत्ता में आने के लिए कुछ लोग ऐसा कर रहे है।

जालोर से भाजपा विधायक का बयान

जालोर विधायक ने कहा है कि बच्चे के साथ मारपीट हुई है, लेकिन क्या वास्तव में यह मारपीट पीने के पानी या छात्र के दलित होने के कारण हुई है। यह जांच का विशेष है। जालोर से भाजपा विधायक का यह भी कहना है कि जब-तक जांच पूरी ना हो, तब तक आक्रमक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए।

13 अगस्त को छात्र ने तोड़ दिया दम

मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक 20 जुलाई को तीसरी कक्षा के छात्र इंद्र मेघवाल ने पानी की मटकी को छू लिया था। इस पर शिक्षक छैल सिंह ने उसकी इतनी पिटाई की कि बच्चे की कान की नस फट गई। परिजनों ने शिक्षक पर छात्र को पीटने का आरोप लगाया है। बच्चे को अहमदाबाद में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। जहां 13 अगस्त को छात्र ने दम तोड़ दिया।

क्या वास्तव में कुछ लोग घटना पर राजनीति कर रहे है? क्या एक मासूम की मौत को तमाश बना देना ठीक है? शिक्षक ने गलत किया उसकी सजा उसको मिलेगी, लेकिन इस मामलें को जातिवाद से छोड़ कर अपनी राजनीति चमकाने वाले लोगों का क्या होगा?
अब बड़ा सवाल की आखिर बच्चे की मौत का कारण उसकी जाति या मास्टर जी के मटके से पानी पीना था, या फिर इस मामलें को कुछ राजनेताओं ने अपनी राजनीति करने के लिए हाइजैक कर लिया।

शिक्षक का व्यहवार ठीक नहीं

शिक्षक के द्वारा बच्चे की इस तरह से पिटाई करना बिल्कुल गलत है। आखिर शिक्षक के ऊपर सख्त से सख्त सजा भी मिलनी चाहिए। ताकि घटना से पूरे देश में एक संदेश जाए और आगे से इस तरह की घटना कोई भी घटना देश में नहीं हो।

इधर, विधायक मेघवाल समेत कई जनप्रतिनिधियों के इस्तीफे

इस पूरे मामलें के बाद बारां जिले की बारां-अटरू विधानसभा से विधायक पानाचंद मेघवाल ने अपने पद से इस्तीफा मेल के जरिये सीएम अशोक गहलोत और विधानसभाध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को भेजा है। पानाचंद मेघवाल कोटा संभाग के बारां जिले की बारां-अटरू विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक बने हैं। विधायक पानाचंद ने लिखा कि कहीं मटकी पर पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी से उतारकर तो कही मूछ रखने पर दलितों को यातनाएं दी जा रही है। राजस्थान में दलित अत्याचारों से आहत हूं। वहीं अब विरोध में दौसा जिले से भी त्याग पत्र आया है। यहां वार्ड संख्या 12 से जिला परिषद सदस्य कल्याण साहय गोठवाल (बैरवा) ने अपना त्याग पत्र दिया है।

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