Rajasthan Politcs: राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 15 दिसम्बर 2023 को राजस्थान के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। उन्होंने कुछ बड़े निर्णय भी लिए हैं, लेकिन अभी आगे की राह बहुत लम्बी है। विशेषकर तब जब अशोक गहलोत की अगुवाई वाली पिछली कांग्रेस सरकार राजस्थान की अर्थव्यवस्था तबाह करके गई है।
जब-जब राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है, तब-तब प्रदेश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क हुआ है। जहाँ एक ओर राजस्थान पर भारी कर्ज है और वह देश में अपनी जीडीपी के मुकाबले सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले राज्यों में शामिल है, वहीं दूसरी ओर पिछले 5 वर्षों में उसकी जीडीपी में कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं दिखी।
राजस्थान इस समय कर्ज के भारी बोझ में दबा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक राजस्थान पर ₹5.37 लाख करोड़ का कर्ज है। जब अशोक गहलोत को वर्ष 2018 में सत्ता मिली थी, तब यह कर्ज मात्र ₹2.81 लाख करोड़ था। अशोक गहलोत ने बीते पाँच वर्षों में ₹2.55 लाख करोड़ का नया कर्ज राजस्थान पर चढ़ाया है।
लगातार रेवड़ी योजनाओं को लाने और वोट के लिए सरकारी खजाना कांग्रेस सरकार ने खूब लुटाया। यह बात ध्यान देने वाली है कि जब अशोक गहलोत को 2018 में सत्ता मिली थी तब वह पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार द्वारा लिए गए लगभग ₹1.63 लाख करोड़ के कर्ज को बहुत अधिक बता रहे थे। अब वह स्वयं राज्य को कर्ज के दलदल में डाल गए हैं।
राजस्थान की वित्तीय स्थिति काफी खराब है। इस राज्य पर उसकी जीडीपी का 40% कर्ज है। देश में राज्य और केंद्र के लिए कर्जे की सीमा तय करने वाले FRBM कानून के तहत यह किसी भी राज्य में 20% से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस सरकार की फिजूलखर्ची से यह दोगुना हो गया है।
वर्ष 2013 में जब कॉन्ग्रेस की सरकार राज्य से गई थी, तब राजस्थान की जीडीपी ₹4.93 लाख करोड़ थी। भाजपा सरकार में साल 2018 तक यह बढ़कर ₹6.28 लाख करोड़ हो गई। इसके बाद 2018 से 2023 के बीच राज्य की जीडीपी ₹7.99 लाख करोड़ रही। दोनों काल में राज्य की जीडीपी 27.2% बढ़ी। लेकिन इतनी ही बढ़त के लिए कांग्रेस सरकार ने कहीं ज्यादा कर्ज लिया।