राजस्थान के चुनावी रण में प्रत्याशियों के ऐलान और नेताओं के दल-बदल की बढ़ती हलचलों के बीच अब राजनीतिक दलों के गठबंधन होना भी शुरू हो गए हैं।
इसी क्रम में मौजूदा सियासत के दो आक्रामक नेताओं और उनकी पार्टी ने इस बार का चुनाव साथ लड़ने का ऐलान कर दिया है।
मतदान दिन से महज़ 29 दिन पहले सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन की घोषणा करके चुनावी महासमर में खलबली मचा दी है। यानी ये तय हो गया है कि अब ये दोनों दल साथ मिलकर हुंकार भरेंगे और प्रमुख राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ेंगे।
गौरतलब है कि आज़ाद पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर उपनाम 'रावण' से भी पहचान रखते रहे हैं। ऐसे में अब हनुमान और रावण की जोड़ी अब राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा में है।
आरएलपी और आज़ाद समाज पार्टी के गठबंधन का असर कई विधानसभा सीटों पर पढ़ना निश्चित माना जा रहा है। दरअसल, कुछ ऐसी चुनिंदा सीटें हैं जहां बेनीवाल और चंद्रशेखर की पकड़ मजबूत दिखाई देती है।
बेनीवाल का किसान और जाट बाहुल्य सीटों पर तो चंद्रशेखर का दलित बाहुल्य सीटों पर अच्छा-खासा दबदबा कहा जा सकता है। ऐसे में इन सीटों पर ये गठबंधन कांग्रेस-भाजपा को मुश्किल में डाल सकता है।
आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी दावा करते हुए कहा है कि इस गठबंधन से कई विधानसभा क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि युवा और किसान को बदलाव की उम्मीद है और उस बदलाव को यह गठबंधन गति देगा।
राजस्थान की जंग मिलकर जीतेंगे। जल्द ही उम्मीदवारों की सूची घोषित की जाएगी। गौरतलब है कि आरएलपी के पास फिलहाल तीन विधायक और एक सांसद हैं।
आरएलपी और आज़ाद पार्टी में गठबंधन के बाद अब सभी की नज़रें इन दोनों के बीच सीट शेयरिंग पर हैं। कौन कितनी सीटों पर और कहां-कहां से कौन-कौन से उम्मीदवार उतारेगा, इसपर दोनों पार्टियों के नेतृत्व मिलकर एक्सरसाइज़ कर रहे हैं। इधर, चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि आरएलपी के साथ सीट बंटवारे पर कोई विवाद नहीं है।
चंद्रशेखर ने एक प्रतिक्रिया में कहा कि पिछली बार 80 लाख लोगों ने भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ वोट दिया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आवाम क्या सोच रही है।
आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल और आज़ाद पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर ने 29 अक्टूबर को राजधानी जयपुर से मिलकर हूंकार भरने का ऐलान भी किया है। दोनों नेताओं ने कहा कि इस संयुक्त रैली में परिवर्तन की आवाज को बुलंद किया जाएगा।
2018 विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भी प्रदेश की सियासत के तीन दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस-भाजपा के खिलाफ हाथ मिलाया था। उस दौरान जयपुर में हुई एक रैली में हनुमान बेनीवाल, किरोड़ी लाल मीणा और घनश्याम तिवाड़ी ने एक मंच पर साथ आकर तीसरे मोर्चे का ऐलान किया था।
जाट-मीणा-ब्राह्मण की इस तिगड़ी के मोर्चे को तब बहुत मजबूत माना जा रहा था, हालांकि चुनाव नतीजों में इसका ज़्यादा असर नहीं दिखा। वहीं इन नेताओं का साथ भी ज़्यादा वक्त तक नहीं रहा और अब बेनीवाल आरएलपी से तो किरोड़ी और तिवाड़ी भाजपा में सांसद हैं।
प्रदेश में कांग्रेस भी आधा दर्जन सीटों पर गठबंधन की तैयारी में है। राज्य की 200 में से 5 सीटें गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन सहयोगी दलों के लिए छोड़ी थीं।
राष्ट्रीय जनता दल के लिए भरतपुर व मालपुरा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता दल के लिए मुंडावर व कुशलगढ़ सीट छोड़ी थी। एक सीट बाली एनसीपी को दी थी। लेकिन इनमें से केवल भरतपुर सीट ही जीत सके थे।
इधर भाजपा ने राजस्थान में अन्य किसी दल से गठबंधन को लेकर अब तक पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा स्वयं राज्य की सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव भी सभी सीटों पर लड़ा था। हालांकि लोकसभा चुनाव में जरूर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के साथ गठबंधन के तहत नागौर लोकसभा सीट छोड़ी थी। बाद में उपचुनाव में खींवसर विधानसभा सीट छोड़ी थी। अब भाजपा का आरएलपी से गठबंधन टूट चुका है।
जयपुर में जालूपुरा स्थित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश कार्यालय में गुरुवार रात हनुमान बेनीवाल और चंद्रशेखर रावण ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के गठबंधन का ऐलान किया। इसके बाद मीडिया से रुबरू होते हुए दोनों पार्टियों के प्रमुखों ने राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया।