26 जनवरी तक राजस्थान भिखारियों से मुक्त हो जाएगा। इसके लिए अशोक गहलोत सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। आने वाले 3 माह में प्रदेश के सभी भिखारियों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जायेगा।
सरकार ने निर्देश दिया है कि भिखारियों को इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत जॉब कार्ड बनाकर, इंदिरा रसोई से भोजन कराकर, कौशल विकास, रैन बसेरों में रहकर और पुनर्वास केंद्रों में सम्मानपूर्वक बसा कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।
इसके लिए मुख्य सचिव उषा शर्मा ने सभी संभागायुक्तों और जिला कलेक्टरों को 26 जनवरी का लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश दिया है।
सरकार की योजना के तहत जयपुर शहर समेत पूरे राजस्थान को भिक्षावृत्ति मुक्त किया जाएगा। इसके लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है। ट्रैफिक पुलिस और पुलिस प्रशासन की मदद से भीख मांगने वाले लोगों को चौराहों, धार्मिक स्थलों और अन्य चिन्हित स्थानों से बचाया जा रहा है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास गृहों में पकड़े गए भिखारियों का पुनर्वास किया जा रहा है और उनकी पहचान की जा रही है। उन्हें पात्रता के अनुसार बाल गृह, नारी निकेतन, मानसिक मंद गृह, वृद्धाश्रम आदि में भेजना।
राज्य सरकार भिखारियों को रोजगार देने से पहले उन्हें प्रशिक्षण दे रही है। राजधानी जयपुर में सड़क पर भीख मांगने वाले 60 लोगों को एक साल का प्रशिक्षण देकर 5 अगस्त 2021 को रोजगार दिया गया।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में 4 लाख से ज्यादा भिखारी हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में भिखारियों की संख्या 4,13,670 है। जिसमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिला भिखारी हैं। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 81,244 भिखारी हैं।
उत्तर प्रदेश में 65,835, आंध्र प्रदेश में 30,218, बिहार में 29,723, मध्य प्रदेश में 28,695, राजस्थान में 25,853 और दिल्ली में 2,187 भिखारी हैं। चंडीगढ़ में सिर्फ 121 भिखारी हैं। लक्षद्वीप में देश में सिर्फ 2 भिखारी हैं।