राजस्थान

SI Ground Report: Lumpy पशुपालकों की राजस्थान सरकार को खरी-खरी; बोला अब तो बस भगवान पर भरोसा

राजस्थान में लंपी बीमारी अपना कहर बरपा रही है। सरकार अपने स्तर पर मदद दावा कर रही है लेकिन जिन लोगों के लिए यह मदद की बात की जा रही है आखिर उन लोगों तक किसी तरह की सहायता पहुंच भी रही है या नहीं। जब सरकार के दावों की हकिकत जानने सिंस इंडिपेंडेस की टीम राजस्थान के बीकानेर पहुंची तो लोगों न सरकारी मदद को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए। पढिए इस रिपोर्ट में...

Kunal Bhatnagar

राजस्थान में लंपी बीमारी का खासा असर पश्चिमी राजस्थान में देखने को मिल रह है। यहां पर लंपी से मरने वाले गौवंशों की सख्या भी अधिक है। बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर और जोधपुर के अलावा रोज डराने वाली तस्वीर समाने आ रही है।

बड़ी बात यह है कि इन क्षेत्रों में सोशल मीडिया पर लोग सरकारी वादों की पोल खोलने वाले वीडियो रोज सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे है।

जब सिंस इंडिपेंडेस की टीम ने ग्राउंड पर जाकर स्थिति को देखना चाह तो लोगों में कांग्रेस सरकार को लेकर खासा नराजगी देखने को मिली।  

पशुपालक, बीकानेर
हमारी सरकार ने किसी भी तरह की कोई मदद नहीं की है। हमारी गायों की बहुत दुर्दशा हुई है। हमारी 100%  में से 25% गायों की मौत हो गई है। न प्रशासन ने न पंचायत ने हमारी गायों को गिरवाने की कोई व्यवस्था नहीं की। हमने अपनी जेब से 1000-1500 रुपये देकर गाय को उठवाया है। हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई है। मदद को नाम पर बोल देते है कि वहां से दवाई ले आना, यहां से दवाई ले आना। हमको कोई पूछने भी नहीं आया। केवल किसानों पर नही आम आदमी पर इसका प्रभाव पड़ा है। आज 30 रुपये किलो दूध 50 रुपये का हो गया है।
पशुपालक, बीकानेर
हर गांव मौत का आंकड़ा अलग-अलग है। दो महीने के अंदर अंदर किसी गांव में 700 गाये मर गई किसी में 500 गाय मर गई है। गांवों में स्थिति ऐसी है बच्चों को दूध पीने के लिए नहीं बचा है। कई-कई घर तो गाय से बिल्कुल सुनसान हो गए है। सरकार ने जवाब दे दिया है कि हमारे पास दवाई भी नहीं है। हम तो हाथ जोड़कर बैठ गए है। भगवान के भरोसे वो जो करेगा वही होगा। सरकार के भरोसे नहीं है। बस सरकार पर इतना भरोसा है कि आने वाले समय में सरकार जैसे भेड़ को कतरते है वैसे कतर लेगी।
पशुपालक, बीकानेर
मैं सरकारी आंकड़े के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहुंगा। लेकिन अगर हम वास्तविकता को देखे तो बजरंग दोरा हनुमान जी के मंदिर स्थिति यहां 27 हजार बीघा गोचर है। यहां पर खेती के टाइम पर 25 हजार गाय चरने आती थी, लेकिन मुश्किल से अभी यहां 10 हजार गाय भी नहीं आई है। इसका मतलब यहीं है कि कही ना कही गायों की कमी हुई है। जो गाय घूटे से बंधी रहती है लगभग उनमें से 10 में से 8 गाय मर रही है।  
स्थानिय निवासी, बजरंग दोरा हनुमान जी के मंदिर, बीकानेर
जनप्रतिनिधि, बीकानेर
ये किसानों से जुड़ा मामला है। किसानों को समर्थ बनाने के लिए दूध का व्यापार व्यापक स्तर पर होता है। किसानों का रोजगार बंद हो गया है। आर्थिक रुप से भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। हो सकता है किसानों को मुआवजा देना पड़े, इस लिए सरकार आंकड़ा कम बता रही हो। सरकार को ग्राउंड लेवल पर आकर देखना चाहिए। किसानों की कितनी गाय मरी है और उनको उचित मुआवजा भी देना चाहिए। हम अपने पैसों से गायों के लिए उपचार की व्यवस्था कर रहे है। सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिल रही है। मैं एक जनप्रतिनिधि होने के नाते कह सकता हूं कि ग्रामीण लेवल पर स्थिति काफी खराब है। अगर आने वाले कुछ समय ऐसा ही चलता रहा तो दूध की काफी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
जनप्रतिनिधि, बीकानेर

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