पेपर माफियाओं के खिलाफ सरकार की आंख में धूल झोंकने वाली कार्रवाई आज राजस्थान के जयपुर में की गई। ऐसा क्यों कहा जा रहा है यह बात जाननें से पहले आपको जानना हो की आखिर पूरा मामला क्या।
हाल ही में राजस्थान में वरिष्ठ शिक्षक भर्ती का GK का पेपर लीक हो गया। उदयपुर में चलती बस में पेपर हल करते समय 40 छात्र पकड़े गए। पेपर लीक की खबर मिलते ही सुबह 9 बजे परीक्षा रद्द कर दी गई। लगभग 4 लाख उम्मीदवारों को सामान्य ज्ञान (जीके) परीक्षा में शामिल होना था। अब यह परीक्षा 29 जनवरी को होगी।
भर्ती परीक्षा में पेपर लीक मामले में दो आरोपी भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका के जयपुर स्थित अधिगम कोचिंग इंस्टीट्यूट जो कि आरोपियों द्वारा किराए पर लिया गया था। इस बिल्डिंग के मालिक अनिल अग्रवाल है। ना की यह बिल्डिंग पेपर माफियाओं की है।
सुबह से सोशल मीडिया पर यह जानकारी वायरल की जा रही है कि सरकार ने पेपर माफियाओं पर कार्रवाई करते हुए 5 मंजिला इमारत को गिरा दिया। जबकि सच्चाई इससे परे है। सरकार के द्वारा यह कार्रवाई किसी पेपर माफियाओं के यहां पर नहीं बल्कि एक भवन मालिक के यहां पर की गई है।
जब से राजस्थान में सामान्य ज्ञान का पेपर लीक हुआ है तब से और अब तक भिन्न समाचार पत्रों और उदयपुर पुलिस के सुत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार पेपर लीक प्रकरण मामलें में अनिल अग्रवाल का नाम दूर-दूर तक नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो पेपर लीक प्रकरण के बाद अनिल अग्रवाल ने पेपर माफियाओं से बिल्डिंग खाली कराने के लिए बोला था। सुत्रों की माने बिल्डिंग खाली कराने के लिए अनिल अग्रवाल ने शिप्रापथ थाने में भी शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को बिल्डिंग से निकाल दिया था।
कार्रवाई में JDA दलील दे रहा है कि सेटबैक नहीं छोड़ा गया था इसलिए यह कार्रवाई की गई है। लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर गोपालपुरा वाईपास पर केवल JDA को एक ही बिल्डिंग मे कमी दिखी। क्या कार्रवाई की गई बिल्डिंग के आस-पास स्थिति बाकि सभी भवन नियम अनुसार चल रहे है। अगर नहीं चल रहे तो इस पर JDA का आंख कब खुलेगी।