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बंगाल हिंसा पर राजस्थान के 108 प्रबुद्धजनों ने राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग

पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा में राष्ट्रपति के दखल देने की अपील को लेकर राजस्थान में प्रबुद्ध लोग एकजुट हुए है। जिन्होंने आज राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन भेजा।

savan meena

बंगाल हिंसा पर राजस्थान के 108 प्रबुद्धजनों ने राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग : पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा में राष्ट्रपति के दखल देने की अपील को लेकर राजस्थान में प्रबुद्ध लोग एकजुट हुए है। जिन्होंने आज राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन भेजा।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम के पश्चात घटित व्यापक हिंसा के विरोध में राजस्थान के 108 प्रबुद्धजनों ने राज्यपाल कलराज मिश्र को मंगलवार दोपहर को एक ज्ञापन भेजा। जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से बंगाल में हो रही हिंसा पर हस्तक्षेप करने की मांग की है। 

बंगाल हिंसा पर राजस्थान के 108 प्रबुद्धजनों ने राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग : इसमें राजस्थान के वरिष्ठ सेवानिवृत्त प्रशासनिक, न्यायिक-वरिष्ठ अधिवक्ता, सेना व पुलिस से निवृत्त अधिकारी, अनुसूचित जाति- जनजाति समाज व संस्थाओं के प्रतिनिधि, पद्मश्री सम्मानित, पदक विजेता खिलाड़ी व पत्रकार-स्तम्भ लेखक शामिल है। जिन्होंने बंगाल की हिंसक त्रासदी को स्वस्थ लोकतंत्र और सद्भाव के लिए गहरा आघात बताया।

संवैधानिक व सामाजिक संकट मानते हुए सामान्य जन के सुरक्षा को लेकर चिंतित

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जेपी सिंघल व पूर्व आईपीएस अधिकारी केएल बैरवा ने अपने साथियों के साथ बंगाल हिंसा के पीड़ित नागरिकों के साथ इस घड़ी में खड़े होने व उनको न्याय दिलाने के लिए राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया। जिसमें संवैधानिक व सामाजिक संकट मानते हुए सामान्य जन के सुरक्षा को लेकर चिंतित होना बताया।

18 प्रशासनिक, 20 न्यायिक अधिकारी सहित इन प्रबुद्ध लोगों ने भेजा ज्ञापन

ज्ञापन पर 18 प्रशासनिक, 20 न्यायिक व वरिष्ठ अधिवक्ता , 14 शिक्षाविद, 22 सामाजिक, 6 सेना व पद्मश्री प्राप्त, 15 पदक विजेता खिलाड़ी और 13 वरिष्ठ पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए है। ज्ञापन को मेल के माध्यम से भेजा गया है। ज्ञापन के माध्यम से पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर गम्भीरता पूर्वक ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल में हिंसा के कारण न केवल लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांत 'स्वतंत्र चुनाव' को गहरी चोट पहुंची है।

वरन संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित 'गरिमामय जीवन के अधिकार' का व्यापक स्तर पर हनन हुआ है। वहां 'नागरिकों के जीवन, संपत्ति व अधिकारों की रक्षा करने के पवित्र दायित्व' से राज्य शासन विमुख हो रहा है।

ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय से हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार निम्न विषय में शीघ्र कदम उठाने की मांग की है

  •  तत्काल हिंसा रोकी जाए।
  •  हिंसा के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाए।
  • हिंसा पीड़ितों को पर्याप्त सुरक्षा देने के साथ ही उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
  • स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन की असफलता को देखते हुए केंद्रीय बलों की पश्चिम बंगाल में नियुक्ति की जाए।
  • पीड़ितों के सुरक्षित पुनर्वास एवं सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित किया जाए।

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