अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के नागरिकों में दहशत है। अफगानिस्तान से मेडिकल वीजा पर आया 11 सदस्यीय परिवार पांच दिन मेदांता में रहने के बाद अब लाजपत नगर चला गया है। वहां से वह ग्रेटर नोएडा जाएंगे। भारत पहुंचने के बाद ये सभी अपने देश का हाल जानकर काफी सुकून महसूस कर रहे हैं. वे ऊपरवाले का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। अफगानिस्तान में हालात सामान्य होने तक उनका लौटने का कोई इरादा नहीं है।
पांच दिन पहले परिवार के साथ मेडिकल वीजा पर आए मुबारक
शाह का कहना है कि उनकी कपड़े की दुकान है। उसका परिवार
मां के इलाज के बारे में पहले से सोच रहा था। कोरोना काल में
उड़ानें बंद रहीं। पर्यटक वीजा बंद कर दिया गया था।
देश में बदलते हालात को देखते हुए परिजनों ने मेडिकल वीजा के लिए आवेदन किया।
इसके बाद वह इलाज के लिए भारत आए। पांच दिन रहने के बाद मां ने भी इलाज कराया।
उनके मुताबिक यह शहर बहुत महंगा है। उन्हें तीन महीने तक रहने की इजाजत है।
परिवार के लोग होटल गए थे। अगर वहां बात नहीं बनी, तो उन्हें एक बिचौलिया मिला, सनी।
उन्होंने ग्रेटर नोएडा में उनके ठहरने की व्यवस्था की है। वहां वे किराए पर मकान लेंगे।
अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो ऑनलाइन आवेदन करने पर वीजा की अवधि बढ़ा दी जाएगी।
शामुरा शाह का कहना है कि जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते, वह भारत में ही रहेंगे।
वे रिश्तेदारों के संपर्क में हैं। वहां स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।
अगर वह कुछ दिन और रुकते तो आना मुश्किल होता।
अफगानिस्तान से आने वाले लोग एक बार लाजपतनगर जरूर जाते हैं। क्योंकि वहां बहुत सारे लोग हैं। वे अपने देश के लोगों की मदद भी करते हैं। उनका परिवार भी मंगलवार को लाजपत नगर जा रहा है। वहां से वह ग्रेटर नोएडा जाएंगे।
एक जमाने में अफगानिस्तान से आने वाले लोग सेक्टर-38 के काबुल रेस्टोरेंट और होटल में जरूर नजर आते थे। वहां के खराब हालात के बाद वे नजर नहीं आ रहे हैं. फ्लाइट बंद होने से कई लोग वहां फंस गए हैं. होटल संचालक हेमंत का कहना है कि इन दिनों इनकी संख्या कम है। 13 दिन पहले एक परिवार आया था, जो सोमवार को इलाज कराकर लाजपत नगर गया था। यह परिवार वहां की राजनीतिक शख्सियत से ताल्लुक रखता है।
अफगान अफगानिस्तान से आने वालों की मदद कर रहे हैं। ऐसे कई लोग हैं जो पहले टूरिस्ट वीजा पर आए और यहां काम करने लगे। कुछ साल रहने के बाद वे दिल्ली के वसंत विहार स्थित यूएनएचसीआर में वापस जाने पर खतरा बताकर शरणार्थी का दर्जा ले लेते हैं। लोग अब उनकी मदद करते हैं और गाइड के तौर पर उनसे पैसे लेते हैं।
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