गहलोत सरकार के सलाहकार और पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने केंद्र सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना 'आयुष्मान भारत' पर सवाल उठाए हैं। अरविंद मायराम ने कोरोना काल में केंद्र की स्वास्थ्य बीमा योजना से निजी अस्पतालों के मरीजों को फायदा नहीं होने की तरफ इशारा किया है। मायाराम ने 'आयुष्मान भारत' योजनाा पर सवाल उठाते हुए कैग से इसकी तत्काल स्वतंत्र ऑडिट करने की मांग की है।
अरविंद मायाराम ने लिखा- क्या 'आयुष्मान भारत' के लाभार्थियों को देश के
किसी भी निजी अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है? नियंत्रक व महालेखा
परीक्षक (CAG) तत्काल यह पता लगाने के लिए इसकी एक स्वतंत्र ऑडिट
करवाए कि हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी इस महामारी में कितने गरीबों को फायदा मिला।
'आयुष्मान भारत' योजना केंद्र सरकार की हेल्थ बीमा की योजना है, जिसमें गंभीर बीमारी होनेपर 5 लाख तक का मुफ्त इलाज का प्रावधान है। गहलोत सरकार ने इस योजना को लागू नहीं किया था। इसकी जगह गहलोत सरकार ने आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की, जिसमें करीब 1.21 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया। गहलोत सरकार का तर्क है कि मोदी की 'आयुष्मान भारत' में सामाजिक आर्थिक जनगणना के पात्र 59 लाख परिवार ही लाभान्वित हो रहे थे, इसलिए खाद्य सुरक्षा के पात्र परिवारों को भी इसमें शामिल किया गया। गहलोत सरकार ने 1 मई से चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की है।
आयुष्मान भारत योजनाको लेकर पहले भी कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग होती रही है। गहलोत सरकार ने जब 'आयुष्मान भारत' योजनाा को हूबहू लागू नहीं किया था। तब भी भाजपा ने खूब सवाल उठाए थे।
अरिवंद मायाराम गहलोत सरकार के वित्तीय और उच्च स्तर के फैसलों से जुड़े मामलों में प्रमुख सलाहकार हैं। मायाराम ने जिस अंदाज में आयुष्मान भारत योजनाा पर सवाल उठाए हैं, उससे एक बार फिर आयुष्मान भारत योजनाा को लेकर कांग्रेस-भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज होने के आसार हैं।