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केरल के बाबू जॉर्ज वालावी 43 साल पहले 3500 शेयर्स खरीदकर भूले, जिसकी कीमत अब 1,448 करोड़ रुपए

कहा जाता है कि ऊपर वाला जब भी देता है तो छप्पर फाड़कर देता है। जी हां, केरल के कोच्चि के बाबू जॉर्ज वालावी 43 साल पहले 3500 शेयर खरीदकर भूल गए, जिसकी कीमत अब 1,448 करोड़ रुपये है। लेकिन अब कंपनी उन्हें पैसा नहीं देना चाहती है। 74 वर्षीय बाबू और उनके परिवार के सदस्यों ने इस मामले को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में ले गये है और दावा किया है कि वे कंपनी के शेयरों के मूल मालिक हैं और कंपनी उन्हें राशि का भुगतान करने से आना-कानी कर रही है। बाबू ने उम्मीद जताई कि उन्हें सेबी से न्याय जरूर मिलेगा

Manish meena

कहा जाता है कि ऊपर वाला जब भी देता है तो छप्पर फाड़कर देता है। जी हां, केरल के कोच्चि के बाबू जॉर्ज वालावी 43 साल पहले 3500 शेयर खरीदकर भूल गए, जिसकी कीमत अब 1,448 करोड़ रुपये है। लेकिन अब कंपनी उन्हें पैसा नहीं देना चाहती है। 74 वर्षीय बाबू और उनके परिवार के सदस्यों ने इस मामले को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में ले गये है और दावा किया है कि वे कंपनी के शेयरों के मूल मालिक हैं और कंपनी उन्हें राशि का भुगतान करने से आना-कानी कर रही है। बाबू ने उम्मीद जताई कि उन्हें सेबी से न्याय जरूर मिलेगा।

बाबू जॉर्ज वालावी का दावा, तब कंपनी अनलिस्टेड थी, डिविडेंड भी नहीं दे रही थी

बाबू जॉर्ज वालावी ने 1978 में मेवाड़ ऑयल एंड जनरल मिल्स

लिमिटेड के 3500 शेयर खरीदे। उस समय यह उदयपुर, राजस्थान

में स्थित एक गैर-सूचीबद्ध कंपनी थी। बाबू 2.8% हिस्सेदार बन

गए। कंपनी के संस्थापक अध्यक्ष पीपी सिंघल और बाबू दोस्त थे।

कंपनी असूचीबद्ध थी और कोई लाभांश नहीं दे रही थी, इसलिए

परिवार अपने निवेश के बारे में भूल गया। 2015 में, उन्होंने इस निवेश को याद किया और जांच की।

शेयर्स 1989 में किसी और को बेच दिए गए

जांच के दौरान बाबू को पता चला कि कंपनी ने अपना नाम बदलकर पीआई इंडस्ट्रीज कर लिया है और एक लिस्टेड कंपनी बन गई है। बाबू ने अपने शेयरों को डीमैट खाते में बदलने की कोशिश की और एक एजेंसी से संपर्क किया। एजेंसी ने बाबू से सीधे कंपनी से संपर्क करने को कहा। कंपनी ने बाबू को बताया कि वह कंपनी के शेयरधारक नहीं है और उसके शेयर 1989 में किसी और को बेचे दिये गए थे।

कंपनी ने भी चेक किया, सारे दस्तावेज असली हैं

बाबू का आरोप है कि पीआई इंडस्ट्रीज ने डुप्लीकेट शेयरों का इस्तेमाल कर अवैध रूप से अपने शेयर किसी और को बेच दिए। 2016 में पीआई इंडस्ट्रीज ने बाबू को मध्यस्थता के लिए दिल्ली बुलाया, लेकिन बाबू ने मना कर दिया। इसके बाद कंपनी ने बाबू के दस्तावेजों की जांच के लिए दो वरिष्ठ अधिकारियों को केरल भेजा। कंपनी ने स्वीकार किया कि बाबू के पास दस्तावेज असली थे, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए बाबू ने सेबी से शिकायत की।

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