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बंगाल का टाइगर 100 किलोमीटर की यात्रा करके बांग्लादेश पहुंच गया, अब नहीं मिल रही लोकेशन

पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने सुंदरबन में एक बाघ को रेडियो कॉलर किया था। अधिकारियों का उद्देश्य था कि इसके जरिए वह बाघ पर नजर रख सकेंगे ताकि वह रिहायशी इलाके में न जाए। यह बाघ चार महीनों में लगभग 100 किमी की यात्रा करके बांग्लादेश पहुंच गया। उसे बांग्लादेश के मैंग्रोव हिस्से में देखा गया। बाघ के वहां पहुंचने से अधिकारी हैरान हैं

Manish meena

पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने सुंदरबन में एक बाघ को रेडियो कॉलर किया था। अधिकारियों का उद्देश्य था कि इसके जरिए वह बाघ पर नजर रख सकेंगे ताकि वह रिहायशी इलाके में न जाए। यह बाघ चार महीनों में लगभग 100 किमी की यात्रा करके बांग्लादेश पहुंच गया। उसे बांग्लादेश के मैंग्रोव हिस्से में देखा गया। बाघ के वहां पहुंचने से अधिकारी हैरान हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अपनी लंबी यात्रा के दौरान, बाघ ने कुछ नदियों को भी पार किया। कुछ नदिया एक एक किलोमीटर से भी अधिक चौड़ी थीं।

बाघ को पिछले साल दिसंबर के अंत में रेडियो कॉलर किया गया

मुख्य वन्यजीव वार्डन वी के यादव ने बताया कि नर बाघ को पिछले साल दिसंबर

के अंत में रेडियो कॉलर किया गया। तब से वह ज्यादातर बांग्लादेश के सुंदरबन में

रहा है। इस बाघ को बशीरहाट रेंज के तहत हरिखली शिविर के ठीक सामने,

हरिनभंगा जंगल से पकड़ा गया था। बाद में 28 दिसंबर को सेटेलाइट कॉलर के साथ इसे छोड़ दिया गया।

बाघ ज्यादातर बांग्लादेश में ही रहा

भारत की ओर इसका कुछ दिनों तक मूवमेंट रहा।

उसके कुछ दिनों के बाद इसने बांग्लादेश सुंदरबन में तलपट्टी द्वीप में प्रवेश करना शुरू कर दिया।

-इस दौरान बाघ ने छोटो हरिखली, बोरो हरिखली और यहां तक कि रायमंगल जैसी नदियों को पार किया।

रिहायशी इलाके में नहीं गया

अधिकारियों ने बताया कि 28 दिसंबर से 11 मई तक चार महीनों के अंतराल में जब तक रेडियो कॉलर ने सिग्नल देना बंद नहीं कियो तब तक बाघ बांग्लादेश सुंदरबन में तलपट्टी द्वीप में ज्यादातर रहा। इस दौरन वह रिहायशी इलाके में भी नहीं गया।

इस अभियान के तहत किया गया था रेडियो कॉलर

अधिकारियों ने बताया कि परियोजना को वन विभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सुंदरबन चैप्टर ने शुरू किया। इसका उद्देश्य था कि भारतीय सुंदरबन में बाघों और ग्रामीणों के बीच नकारात्मक सोच को बदला जा सके। उन्होंने बताया कि 11 मई को बाघ की अंतिम लोकेशन बांग्लादेश के तलपट्टी द्वीप पर थी।

जनवरी 2017 में एक बाघिन को रेडियो कॉलर करके साउथ-24 परगना इलाके के जंगल में छोड़ा गया था। इसने भी चार महीने में लगभग 100 किलोमीटर की यात्रा की और बंगाल की खाड़ी तक पहुंची थी।

11 मई के बाद इसलिए नहीं मिल रही लोकेशन

यह पूछे जाने पर कि क्या 11 मई के बाद कॉलर ने सिग्नल देना बंद कर दिया है, तो क्या बाघ की मौत भी हो सकता है? अधिकारियों ने कहा कि ऐसा नहीं हुआ है। गैजेट में एक सेंसर भी लगा है। अगर बाघकी मौत होती है तो उन लोगों को इसका पता चल जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि हो सकता है कि रेडियो कॉलर गले से निकल गया हो या फिर उसमें पानी चला गया हो और वह खराब हो गया हो।

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