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भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के देवास आगमन से गर्माई राजनीति

savan meena

न्यूज – अभी विधानसभा उपचुनाव की तारीख का ऐलान भले ही नही हुआ हो, लेकिन चुनाव को लेकर कांग्रेस व भाजपा दोनों ही राजनीतिक पार्टियों की तैयारियां काफी तेज हो गई है। शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के अचानक देवास आगमन ने राजनीतिक सरगर्मी को उफान पर ला दिया। विजयवर्गीय के इस अचानक  आगमन के कई मायने निकाले जा रहे है।

चर्चा है कि पूर्व सीएम कैलाश जोशी के पुत्र व तीन बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री दीपक जोशी पार्टी से खासे नाराज चल रहे है और उनकी पटरी कांग्रेस से बगावत कर भाजपा मे शामिल हुए सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक मनोज चौधरी से नही बैठ रही है। अभी उपचुनाव की घोषणा नही हुई, लेकिन जोशी व चौधरी के बीच हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र मे वर्चस्व को लेकर अनबन की खबरे रोजाना आ रही है, जो आगामी चुनाव मे भाजपा प्रत्याशी के लिए घातक साबित हो सकती है।

बताया जाता है कि इसी चिंता के चलते शनिवार को हाईकमान के निर्देश पर महासचिव कैलाशजी ने देवास आकर चुनाव पूर्व बढ़ती खाई को पाटने का प्रयास किया। विजयवर्गीय सीधे पूर्व मंत्री जोशी के सिविल लाईन स्थित निवास पहुंचे। वहां विजयवर्गीय ने जोशी से एक घंटे बंद कमरे मे चर्चा की। इसके बाद चौधरी व सांसद भी चर्चा मे शामिल हुए। इनके बीच क्या चर्चा व सुलह हुई? इसको लेकर तरह-तरह की अटकले लगाई जा रही है।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री जोशी गत 2 माह से अपनी व अपने कार्यकर्ताओं की लगातार हो रही उपेक्षा से आहत है। बताया जा रहा कि पूर्व विधायक चौधरी क्षेत्र का दौराकर जोशी समर्थकों को दरकिनार करते हुए अपनी नई टीम बना रहे है। क्षेत्र मे वरिष्ठ भाजपाईयों को भी तवज्जों नही दिए जाने की चर्चा है। जोशी दबी जुबान पार्टी मे तेजी पनप रही कांग्रेस संस्कृति से भी खफा है।

नेवरी फाटा से चापड़ा रोड निर्माण के भूमिपूजन मे दोनो नेता साथ जरुर थे, लेकिन बाद मे चौधरी समर्थकों ने अखबारों मे विज्ञापन देकर रोड स्वीकृत कराने मे चौधरी के प्रयासों को अहम बताया। इस बात को लेकर भी इनके बीच मे खाई बढ़ी है।

चुनाव पूर्व जोशी व चौधरी के बीच लगातार बढ़ रही दरार भाजपा के लिए आॅल इज वेज नही कहां जा सकता। कैलाशजी का अचानक देवास आना इसी चिंता को जाहिर कर रहा है कि समय रहते जोशी व चौधरी मे सुलह नही हो पाई तो चुनाव मे इसका खामियाजा पार्टी को भुगतान पड़ेगा।

हाटपिपल्या जोशी का गृह क्षेत्र होने के साथ उनके पास समर्पित कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी फौज है। पार्टी से उन्हें उपेक्षित  करना आसान नही होगा।

बहरहाल हाटपिपल्या क्षेत्र मे भाजपा जोशी व चौधरी दो गुट मे बटी हुई नजर आ रही है। यही हाल रहा तो चुनाव मे कांग्रेस से पार पाना आसान नही होगा।

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