ड्रैगन को घेरने के लिए दुनिया के सबसे अमीर लोकतंत्रों ने तैयार किया ये प्लान, बौखलाया चीन : इंग्लैंड के कार्बिस बे रविवार को समाप्त हुई G-7 बैठक में हुए समझौतों से चीन चिढ़ गया है। दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के जी-7 शिखर सम्मेलन को अपने खिलाफ गुटबाजी बताते हुए चीन ने सदस्य देशों को खुलेआम धमकी दी है। ग्रुप ऑफ सेवन कहे जाने वाले इन देशों के नेताओं को चीन ने साफ चेतावनी दी कि ' वे दिन गए जब देशों के छोटे समूह दुनिया के भाग्य का फैसला किया करते थे'
लंदन में चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे दिन बीत चुके हैं जब देशों के एक छोटे समूह ने वैश्विक निर्णय लिए थे। हम हमेशा मानते हैं कि बड़े या छोटे, मजबूत या कमजोर, गरीब या अमीर सभी देश समान हैं। वैश्विक मुद्दों पर निर्णय सभी देशों से परामर्श के बाद ही लेना चाहिए।
जी-7 के नेता दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में समाप्त हुई बैठक के दौरान चीन को रणनीतिक रूप से घेरने की कोशिश कर रहे थे, दुनिया के सबसे अमीर लोकतंत्रों का मानना है कि पिछले 40 वर्षों में चीन की शानदार आर्थिक और सैन्य वृद्धि के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुखरता बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए ये सभी देश वैश्विक समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
जी-7 नेताओं ने चीन के वैश्विक अभियान के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना का अनावरण किया है।बताया जा रहा है कि चीन को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने से कैसे रोका जाए, इस मुद्दे पर फिलहाल एकमत नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जी-7 शिखर सम्मेलन में बंधुआ मजदूरी प्रथा को लेकर चीन का बहिष्कार करने के लिए लोकतंत्रों पर दबाव बनाने के लिए एक योजना तैयार की है।
जी-7 सदस्य देशों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) के खिलाफ एक नई बुनियादी ढांचा योजना शुरू करने का फैसला किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जी-7 देशों के अन्य नेताओं के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का नाम बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड Build Back Better World (B3W) होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस कार्यालय के अनुसार, इस अभियान के तहत बुनियादी ढांचे को पारदर्शी तरीके से और आपसी साझेदारी में विकसित किया जाएगा। इसके तहत 2035 तक विकासशील देशों में 40 ट्रिलियन डॉलर की राशि खर्च की जाएगी।
माना जा रहा है कि इससे चीन को हजारों करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है। वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट के जरिए चीन दुनिया भर के देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है। श्रीलंका, पाकिस्तान समेत अफ्रीका के कई देश पहले ही चीन के आर्थिक गुलाम बन चुके हैं।