रिव्यू – अब तक आपने एक से बढ़कर एक बेहतरीन सीरीज देखी, जो आपको बेहद पसंद आईं। लेकिन इस बार हम एक ऐसा रिवेंज थ्रिलर लेकर आए हैं, जो आपको बहुत ही पंसद आने वाला है,
लॉकडाउन में ओटीटी प्लेटफॉर्म एक दूसरे को कड़ा कॉन्पिटिशन दे रहे हैं क्योंकि इस दौरान लोग घरों में है और एंटरटेनमेंट के लिए कुछ न कुछ सर्च करते ही रहता है इस लॉकडाउन के दौरान सिंस इंडिपेंडेंस ने आपको कहीं वेब सीरीज के बारे में बताएं इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी वेब सीरीज के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस समय ट्रेंड कर रही है।
इस रिवेंज थ्रिलर वेब सीरीज का नाम है 'एक थी बेगम', जो अप्रैल के दूसरे सप्ताह में रिलीज हुई है और हमें लगता है कि इस वेब सीरीज को आपको मिस नहीं करना चाहिए अभी भी लॉकडाउन के कुछ दिन बाकी हैं तो आप इस वेब सीरीज का मजा पूरी तरीके से ले सकते हैं। यह वेब सीरीज MX प्लेयर पर उपलब्ध है और वह भी फ्री में,
एक अच्छी कहानी मिलना और उस पर एक अच्छी वेबसीरीज या फिल्म बनाना दो अलग अलग बातें हैं। पहली बात तो ये कि "एक थी बेगम" हिंदी में बनी नहीं है, हिंदी में डब की गई है। ये सीरीज मूलत: मराठी में बनी और लॉकडाउन में जनता का मनोरंजन करने के लिए हिंदी में डब करके रिलीज कर दी गई।
सत्य घटनाओं पर आधारित यह सीरीज बेहद ही रोमांचक है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे एक साधारण महिला अपने पति के हत्यारे से बदला लेने के लिए कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन बन जाती है। उसका एकमात्र लक्ष्य अंडरवर्ल्ड डॉन मकसूद को मारना ही है।
कहानी ज़हीर जिसका किरदार निभा रहे है अंकित मोहन से शुरू होती है। अंकित मोहन मकसूद भाई का बाग़ी गैंगस्टर है जो मुम्बई में ड्रग्स का कारोबार रोकने के लिए एक अलग गैंग बनाता है। ज़हीर मुम्बई में मकसूद भाई का काम देख रहे नाना यानी राजेंद्र शिष्टाकर के भाई रघु को मार देता है।
नाना पहले तो अपने वफादार पुलिस वाले तावड़े जिसका किरदार अभीजीत च्वहाण निभा रहे है उसी से ज़हीर को उठवाता है। ज़हीर लेकिन अदालत से छूट जाता है। उसके बाद मकसूद भाई के कहने पर नाना और तावड़े मिलकर ज़हीर को मार देते हैं।
ज़हीर की पत्नी अशरफ जिसका किरदार निभाया है अनुजा साठे ने यह पुलिस में रिपोर्ट करने से लेकर मीडिया तक सब जगह चली जाती है, लेकिन उसके जाने का कोई फायदा नहीं होता है। अशरफ उसके बाद खुद बदला लेने का फैंसला करती है। वह एक डान्स बार में काम करने लगती है और ऐसा जाल बिछाती है कि एक-एक कर सबको मौत के घाट उतार देती है। हालांकि अंत में वो खुद भी मारी जाती हैं। अशरफ ही वो बैगम है जो बड़े-बड़े जुर्म को बादशाहों को काट देती है। और कहानी भी इसी के इर्द-गिर्द घुमती है।
एक तरफ अशरफ के बदले की कहानी आगे बढ़ रही है, उसी के साथ-साथ अशरफ की प्रेम कहानी भी आगे बढ़ रही है। प्रेम कहानी में बीच-बीच में गाने भी आते हैं। फ़िल्म की सिच्वेशन के हिसाब से गाने भी सही समय पर आते हैं और माहोल बदलने का काम करते हैं।
इस सब के बाद भी देखने वाले 14 एपीसोड में अशरफ के साथ कहीं इमोशनल अटैच नहीं हो पाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वज़ह पटकथा है। लेखक ने अशरफ का सफर इतना आसान कर दिया कि उसकी मदद के लिए हर जगह एक किरदार गढ़ दिया। हालांकि कहानी में आता है कि किसी सच्ची घटना से प्रभावित है उसके बाद भी लेखक अशरफ की जर्नी में डगमगा रहा है।
सीरीज में एक मीडिया हाऊस को भी दिखाया गया है। एक पत्रकार जो कि पुलिस वालों के ख़िलाफ लिख रही है उसका कहना है कि वो अपने भाई का बदला ले रही है जिसका सीरीज में कुछ खास काम देखना को नहीं मिलता है।
एम एक्स प्लेयर की अगर पिछली सीरीज देखें तो उसका कंटेट बाकी प्लेटफार्म के मुकाबले काफी अच्छा है। उसकी क्राइम सीरीज भौकाल जो उत्तर प्रदेश के क्राइम पर आधारित थी। यह मुम्बई के क्राइम पर आधारित है।
मुम्बई जुर्म की दास्तान सुनाती 14 एपीसोड की ये वेब सीरीज 'एक थी बैगम' एम.एक्स प्लेयर पर 8 अप्रेल को रिलीज हुई थी। लेकिन ये अब ट्रेंडिंग में आ गई है, जुर्म की जिस दुनिया में जहां बड़े-बड़े इक्के और बादशाह भरे पड़े हों जिनके सामने सारी की सारी चाल बेकार हैं। वहां एक बैगम सबको मात दे जाती हैं। यह बैगम आखिर है कौन? जानने के लिए एक थी बैगम देखनी पडेगी।