Fact Check – देश में फैले CoronaVirus के बीच उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की खबर ने हर किसी को परेशान कर दिया, सोशल मीडिया पर लोग इसकी चर्चा करने लगे तो उत्तराखंड प्रशासन के कान तक ये बात पहुंची और प्रशासन जानकारी जुटाने लगा तो खबर झूठी पाई गई,
हर साल बढ़ते तापमान के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आती है, इस साल अब तक 46 बार जंगलों में आग लग चुकी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पहली घटना की सूचना के बाद से जंगल की आग ने 51.34 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है।
राज्य में आग से घिरे वनस्पतियों और जीवों के बारे में बताते हुए, कई निवासियों ने हैशटैग #PrayForUttarakhand के साथ वाइल्डफायर के वीडियो और फोटो ट्वीट किए, जो जल्द ही ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया।
लेकिन ये सब खबरें झूठी निकली है, उत्तराखंड प्रशासन ने साफ कर दिया कि जो जंगलों में आग लगने की खबरें फैलाई जा रही है वो सिर्फ अफवाह है।
सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहीं जंगल में आग की झूठी खबरें देखकर वन विभाग भड़का हुआ है, विभाग के प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए डॉ पराग मधुकर धकाते को सोशल मीडिया प्रभारी बनाया है जो अब इस प्रकार की भ्रामक खबरों को बेपर्दा करेंगे, सभी डीएफओ को आदेश जारी कर डॉ धकाते के संपर्क में रहने के निर्देश दिए गए हैं।
पीसीसीएफ जयराज का कहना है कि जंगल में आग लगने की अवधि में सोशल मीडिया पर विदेश के जंगलों की फ़ोटो को उत्तराखंड का बता दिया जाता है, ये बहुत ही आपत्तिजनक है। सोशल मीडिया में भ्रामक व आपत्तिजनक पोस्ट डाली जाती हैं और लोग इन पर विश्वास भी कर लेते हैं।
उत्तराखंड के सीएम ने ट्वीट कर लिखा, 'मुझे यह कहते हुए बड़ा दुःख हो रहा है कि सोशल मीडिया पर कई नामी-गिरामी हस्तियाँ "उत्तराखंड जल रहा है" जैसे एक भ्रामक दुष्प्रचार का हिस्सा बनी हैं, आप सभी से इतनी अपेक्षा है कि अपने नाम का इस तरह से दुरुपयोग न होने दें'
इस विवाद में अब उत्तराखंड पुलिस भी कूद गयी, डायरेक्टर जनरल (लॉ एंड आर्डर) अशोक कुमार ने एक वीडियो जारी कर कहा कि भ्रामक सूचनाएं फैलनों वालो पर कार्यवाही होगी, जिसमे जेल भी शामिल है। आग पर हो रही किरकिरी से बचने और सोशल मीडिया पर नज़र रखने के लिए सरकार ने आईएफएस पराग मधुकर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।