अब अफगानिस्तान में इस समय तालिबान का शासन है। तालिबान लड़ाके देश पर राज कर रहे हैं। इसका सबसे बुरा इम्पैक्ट अफगानी महिलाओं और उनके बच्चों पर पड़ा है। वहीं अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत से हुई अफरा-तफरी के बीच वहां की मशहूर महिला फिल्म निर्देशक सहारा करीमी ने अपने विचार सोशल मीडिया के जरिए साझा किए हैं।
उन्होंने सोशल मडिया के जरिए विश्वपटल रखे विचारों में कहा कि अफगानिस्तान के हालात बेहद भयावह हैं। खासकर महिलाओं के मामले में। इन घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन कराना जरूरी होना चाहिए है, ताकि आने वाले समय में दुनिया अफगानिस्तान के इस मुश्किल समय को न भूल पाए।
करीमी ने इससे पहले दुनिया भर के फिल्म समुदाय को पत्र लिखकर तालिबान के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया था। उनका यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। उन्होंने अपने पत्र में बताया था कि वह 15 अगस्त को पैसे निकालने के लिए बैंक पहुंची थी। काफी देर इंतजार करने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिले।
अचानक बाहर गोली चलने की आवाज आने लगी। बैंक मैनेजर करीमी के पास आया और उसे जाने के लिए कहा। मैनेजर ने उससे कहा कि अफगानिस्तान में कई लोग आपको जानते हैं। तालिबान काबुल के बहुत करीब पहुंच गया है, इसलिए आपको यहां से चले जाना चाहिए। फिल्म निर्देशक ने बताया कि बैंक मैनेजर ने पिछला दरवाजा खोलकर उसे वहां से बाहर जाने का रास्ता दिया।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद 38 वर्षीय करीमी को रातों-रात काबुल छोड़ना पड़ा। वह इस समय यूक्रेन की राजधानी कीव में हैं। उन्होंने इससे पहले काबुल की सड़कों पर घूमते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड किया था और वहां का हाल बताया था. वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया था। करीमी ने हवा, मरियम, आयशा जैसी मशहूर फिल्में बनाई हैं। इन फिल्मों में अफगानिस्तान में महिलाओं के जीवन के बारे में बताया गया है।
तालिबान के हमले के बाद अफगानिस्तान के कई निवासी अलग-अलग देशों में शरण ले रहे हैं। ऐसे में सहारा करीमी उन भाग्यशाली लोगों में से हैं जो किसी तरह तालिबान से जान बचाकर भाग निकले और अफगानिस्तान से बाहर निकल गए. फिल्म निर्माता सहारा करीमी इन दिनों यूक्रेन की राजधानी कीव में हैं। वीडियो में दिख रहा है कि करीमी बेतहाशा भाग रही हैं. इस बीच कई बार लोग उनसे कुछ पूछते हैं और वह जवाब देकर भागती रहती है।
करीमी अफगान फिल्म संगठन की पहली महिला निदेशक हैं। उन्होंने कहा कि 1990 में भी तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया था। उस दौर के रिकॉर्ड आज भी मौजूद हैं। करीमी ने कहा कि 90 के दशक में तालिबान कितने भयानक थे, यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि उस समय उन पर बनी फिल्में देखें। उन फिल्मों के जरिए हम समझ सकते हैं कि तालिबान महिलाओं के साथ किस तरह से खास व्यवहार करता था।