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आधे खिलाड़ी टाइफाइड के शिकार थे ऐसे समय मेंं सौरव गांगुली ने जड़ा था शतक…

सौरव गांगुली ने अनएकेडमी के माध्यम से हजारों बच्चों से संवाद में बताया कि कैसे संयोग से वह क्रिकेट में आए, और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

savan meena

न्यूज –  भारतीय क्रिकेट टीम  के सबसे सफल कप्तानों में शुमार सौरव गांगुली भारत में सबसे लोकप्रिय हैं। सौरव गांगुली को क्रिकेट करियर से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष पद  तक उन्हें लोगों का खूब प्यार मिला है।

सौरव गांगुली ने अनएकेडमी के माध्यम से हजारों बच्चों से संवाद में बताया कि कैसे संयोग से वह क्रिकेट में आए, और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सौरव गांगुली एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे, गांगुली ने बताया कि वह तो फुटबॉलर बनना चाहते थे। सौरव गांगुली फुटबॉल की ट्रेनिंग भी लेते थे, लेकिन शरारतों के कारण उनके पिता ने उनका दाखिला क्रिकेट अकादमी में करवा दिया।

सौरव गांगुली ने कहा कि उनको भी नहीं पता कि आखिर उनके कोच ने उनमे ऐसा क्या देखा, जिसके कारण उन्होंने मेरे पिताजी से क्रिकेटर बनाने की बात कही। सौरव गांगुली ने इसके बाद बताया कि 9वीं क्लास तक तो वह बहुत अच्छे फुटबॉलर रहे, लेकिन क्रिकेट में आने के बाद उन्हें क्रिकेट से प्यार होने लगा। सौरव गांगुली ने अपने पहले सिलेक्शन के बारे में भी बताया कि कैसे उनका चयन हुआ।

सौरव गांगुली ने बताया कि करीब आधी टीम टाइफाइड बुखार के कारण बीमार पड़ गए तो एसओएस हमारी अकादमी में चयन के लिए आए थे, और किस्मत से चयन खिलाड़ियों में उनका नाम शामिल था। सौरव गांगुली ने कहा कि फिर उन्होंने ओडिशा के विरुद्ध शतक लगाया और सब कुछ बदल गया, मुझे पहचान मिल चुकी थी।

सौरव गांगुली बाएं हाथ के बल्लेबाज थे, इसको लेकर भी उन्होंने बताया कि मेरे पास कोई क्रिकेट किट नहीं थी। किट नहीं होने के चलते मुझे मेरे बड़े भाई की किट पहननी पड़ती थी, और वो लेफ्टि था और इस तरह मै भी बाएं हाथ का बल्लेबाज बन गया।

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