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स्मृति ईरानी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बदनाम करने के लिए नहीं कर सकते सोशल मीडिया का इस्तेमाल

Manish meena

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल दूसरों को बदनाम करने के लिए नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भाषा पर संयम बरतना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के एक कॉलेज के एक शिक्षक को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार करते हुए की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल दूसरों को बदनाम करने के लिए नहीं किया जा सकता है

शिक्षक पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ फेसबुक पर कथित

रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है।

जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि

सोशल मीडिया पर किसी भी व्यक्ति की आलोचना या मजाक करते समय लोगों को अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए।

पीठ ने यूपी के फिरोजाबाद के एसआरके कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख प्रोफेसर

शहरयार अली की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा,

"आप इस तरह महिलाओं को बदनाम नहीं कर सकते.

आप सिर्फ सोशल मीडिया का इस्तेमाल बदनाम करने के लिए नहीं कर सकते.

आखिर किस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है?

आलोचना करने या मजाक उड़ाने की भी एक भाषा होती है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप कुछ भी नहीं कह सकते.

क्या मामला है?

मामले के मुताबिक, पुलिस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ कथित तौर पर

अश्लील फेसबुक फीड पोस्ट करने के आरोप में शहरयार अली के खिलाफ का मामला दर्ज किया था।

भाजपा के एक नेता की शिकायत पर प्रोफेसर पर भारतीय दंड संहिता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी

अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी अग्रिम जमानत याचिका

इससे पहले मई में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अली को यह कहते हुए

अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था कि आरोपी राहत का हकदार नहीं है

क्योंकि वह एक कॉलेज में वरिष्ठ शिक्षक है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि

उनके सोशल मीडिया पोस्ट से विभिन्न समुदायों के बीच दुर्भावना को बढ़ावा देने की संभावना है।

हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद अली ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रोफेसर की ओर से पेश हुए

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने दावा किया कि उनके मुवक्किल का फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया है.

और जैसे ही उन्हें इस विवादित पोस्ट के बारे में पता चला तो उन्होंने माफीनामा भी पोस्ट कर दिया.

इस पर पीठ ने सवाल किया कि ऐसा लगता है कि यह कहानी बाद में गढ़ी गई है।

पीठ ने कहा, आपने माफी मांगने के लिए उसी अकाउंट का इस्तेमाल किया, लेकिन आप कहते हैं कि आपका अकाउंट हैक हो गया था

पीठ ने कहा, 'आपने माफी मांगने के लिए उसी अकाउंट का इस्तेमाल किया, लेकिन आप कहते हैं कि आपका अकाउंट हैक हो गया था। इससे पता चलता है कि आप अभी भी उस खाते का उपयोग कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि क्या आपके पास इस बात का कोई सबूत है कि आपका अकाउंट हैक किया गया था? पीठ ने कहा कि हम आपकी हैक थ्योरी को पचा नहीं रहे हैं। पीठ ने प्रोफेसर से निचली अदालत के समक्ष अपनी बेगुनाही साबित करने को कहा।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रोफेसर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दावा किया कि उनके मुवक्किल का फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया था। और जैसे ही उन्हें इस विवादस्पद पोस्ट की जानकारी मिली तो उन्होंने माफी को भी पोस्ट किया। इस पर पीठ ने सवाल किया कि ऐसा लगता है कि बाद में यह कहानी गढ़ी गई है।

पीठ ने कहा, 'आपने माफी मांगने के लिए उसी अकाउंट का इस्तेमाल किया, लेकिन आपका कहना है कि आपका अकाउंट हैक कर लिया गया था। इससे पता चलता है कि आप अभी भी उस अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं।' पीठ ने कहा कि क्या आपके पास इस बात का कोई प्रमाण है कि आपका अकाउंट हैक कर लिया गया था? पीठ ने कहा कि हमें आपके हैक वाली थ्योरी नहीं पच रही है। पीठ ने प्रोफेसर को ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कहा है।

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