डेस्क न्यूज़- पंजाब में सियासी संकट के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शुक्रवार को कांग्रेस की तीन सदस्यीय कमेटी के सामने पेश हुए। इस दौरान उन्होंने खुद पर लगे आरोपों का जवाब दिया। कहा जाता है कि कैप्टन सरकार और संगठन में किसी भी तरह के फेरबदल के लिए तैयार है, लेकिन सत्ता के दो ध्रुव उसे मंजूर नहीं हैं। बैठक के बाद कैप्टन ने कहा कि राज्य में छह महीने में विधानसभा चुनाव है और इस संबंध में आंतरिक चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई है। समिति 3-4 दिनों में अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेगी।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि बैठक का एजेंडा असल में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मतभेदों को पाटना था। जिस वक्त कैप्टन के साथ चर्चा हो रही थी उस वक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा भी चर्चा में शामिल थे। तीन घंटे तक चली बैठक में कैप्टन ने विधायकों और नेताओं द्वारा अपने ऊपर लगे आरोपों का समिति के सदस्यों पर जवाब दिया। मुख्यमंत्री अपने साथ दस्तावेजी सबूत लाए थे, जो कि विधायकों और पंजाब कांग्रेस के नेताओं से काम करवाए जाने के सबूत थे। कांग्रेस नेता और समिति के सदस्य हरीश रावत ने कहा कि सोनिया गांधी दो-तीन दिनों के लिए बाहर हैं, इसलिए बैठक की पूरी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को 3-4 दिन बाद सौंपी जाएगी। रावत के अलावा तीन सदस्यीय समिति में मल्लिकार्जुन खड़गे और जेपी अग्रवाल भी शामिल हैं।
इससे पहले सोमवार को समिति ने अपनी पहली बैठक में पंजाब के 25 विधायकों से मुलाकात की थी। समिति के एक सदस्य ने कहा कि शुक्रवार की बैठक विवाद को सुलझाने के लिए पार्टी की पंजाब इकाई की आखिरी बैठक थी। कमेटी ने पांच दिन में पंजाब के 100 से ज्यादा नेताओं और विधायकों का पक्ष सुना।
मंगलवार को समिति के सदस्यों के साथ बैठक में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को पंजाब की सच्चाई और बातों से मजबूती से अवगत करा दिया है। बैठक के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा था, "मैं आलाकमान के आह्वान पर आया हूं और पंजाब के लोगों की बात नेता तक पहुंचाई है."
पंजाब को लेकर नेतृत्व ने जिस तरह की कवायद की उसे लेकर पांचवें दिन तक बात बनने से अधिक बिगड़ने का खतरा बढ़ गया था। दरअसल कैप्टन खेमे ने मुख्यमंत्री की वरिष्ठता और प्रतिष्ठा को मुख्यमंत्री को समझाने के लिए बुलाने से जोड़ा। हालांकि कैप्टन ने कमेटी के सामने पहुंचकर अपना पक्ष रखने का फैसला किया। कैप्टन ने समिति के सामने स्पष्ट किया कि अकालियों का समर्थन करने का आरोप उन पर लगाया जा रहा है, जबकि वे लगातार उनका निशाना बने रहे।