डेस्क न्यूज़- सार्वजनिक मंचों पर अपनी ही पार्टी की आलोचना करने वाले G-23 नेताओं से कांग्रेस सावधान हो गई है। पार्टी की ओर से 1 नवंबर से शुरू हो रहे सदस्यता अभियान को लेकर सदस्यता फॉर्म में कई बदलाव किए गए हैं। इसके तहत पार्टी ने दस बिंदुओं का उल्लेख किया है, जिसमें यह भी शर्त है कि सदस्यता लेने वाले को एक हलफनामा देना होगा कि वह सार्वजनिक रूप से पार्टी की नीतियों और फैसलों की आलोचना नहीं करेगा। इसके अलावा यह भी शर्त रखी गई है कि सदस्यता ग्रहण करने वाला कोई भी व्यक्ति कानूनी सीमा से अधिक संपत्ति नहीं रखेगा।
कांग्रेस सदस्यता प्रपत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि – 'मैं धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए सदस्यता लेता हूं। पार्टी मंचों को छोड़कर, मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, खुले तौर पर या किसी भी तरह से पार्टी की स्वीकृत नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करूंगा।'
जी-23 नेताओं ने कांग्रेस की नीतियों और फैसलों को लेकर पूर्व में अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मीडिया से बातचीत के दौरान तो यहां तक कह दिया था कि 'मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि पार्टी में कौन फैसले ले रहा है। यह ज्ञात नहीं है कि पार्टी का अध्यक्ष कौन है। हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है। इसके अलावा गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की थी। उन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव की भी मांग की। इसके अलावा कांग्रेस में युवा बनाम वृद्ध नेताओं की लड़ाई भी कई बार सार्वजनिक रूप से सामने आ चुकी है।
सार्वजनिक मंचों पर अपनी ही पार्टी की आलोचना और डांट के बाद सोनिया गांधी ने जी-23 नेताओं के प्रति अपना रवैया दिखाया। उन्होंने बिना सीधे नाम लिए जी-23 नेताओं को फटकार लगाई थी और अध्यक्ष की मांग पर उन्होंने साफ कह दिया था कि मैं कांग्रेस की अध्यक्ष हूं और फैसले भी ले रही हूं। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कुछ भी कहने के लिए मीडिया के सपोर्ट की जरूरत नहीं है।