पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को हफिजाबाद की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के की ओर से दागी गई मिसाइल का हम जबाब दे सकते थे लेकिन हमनें धैर्य दिखाया।
भारत की तरफ से दागी गई सुपरसोनिक मिसाइल (बिना हथियारों से लैस) पर भारत ने खेद जताते हुए इसके जांच के आदेश दिए है। ये मिसाइल 9 मार्च को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गिरी। इसने लाहौर से 275 किलोमीटर दूर कोल्ड स्टोरेज को निशाना बनाया। जिसमें कोई जन हानि नहीं हुई।
पाकिस्तान, भारत के व्दारा जांच करवाने पर सहमत नहीं है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि इस मामले पर संयुक्त जांच की जाए क्योंकि यह मिसाइल पाकिस्तान में गिरी है। साथ ही कहा कि हम जानना चाहते है कि भारत की तरफ से दागी गई मिसाइल कौनसी है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने जारी किये बयान में कहा कि इतने गंभीर विषय को आसन से स्पष्टीकरण देकर नहीं छोड़ा जा सकता है। भारत अपनी तरफ से जांच की बात कर रहा है, यह काफी नहीं है। हम संयुक्त जांच की मांग करते है जिससे प्रत्येक तथ्य की निष्पक्ष जांच हो सके।
पाकिस्तान के इंटर-सर्विस पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि भारतीय मिसाइल ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी वायुसेना भारत की तरफ से आ रही सुपरसोनिक मिसाइल पर नजर बनाये हुए थे। हालांकि पाकिस्तान ने इसे मार गिराये की कोशिश नहीं की।
नई दिल्ली में सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (CAPS) थिंक टैंक के प्रमुख सेवानिवृत्त एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने पाकिस्तान व्दारा मिसाइल को मार न गिराने पर कहा कि मिसाइल इतनी तेजी से गई कि उसे मार गिराने का समय कम था।
सेवानिवृत्त एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि 'जब कोई चीज इतनी तेज़ गति से आ रही हो तो आपके लिए किसी तरह की प्रतिक्रिया देना आसान नहीं होता। आपको ये भी पता नहीं होता कि उस रास्ते पर कोई मिसाइल है।
पाकिस्तान और भारत के बीच फिलहाल किसी तरह के तनाव की स्थिति नहीं है और ये दोनों देशों का शांतिकाल है। ये रेड अलर्ट की स्थिति नहीं है इसलिए पाकिस्तान मिसाइल की पहचान कर उसे गिरा नहीं पाया। वैसे भी जब कोई चीज इतनी तेजी से आ रही हो, तो आप बहुत कम चीजें कर पाते है।'
भारत और पाकिस्तान के बीच 2005 में बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण को लेकर समझौता हुआ था। जिसके तहत प्रत्येक देश को बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण करने से पहले दूसरे देश को कम से कम तीन दिन पहले सूचित करना आवश्यक है। ये समझौता सभी तरह की मिसाइलों के परीक्षण को लेकर है, चाहें वह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल हों और चाहें सतह से समुद्र पर मार करने करने वाली हो।
इस समझौते के अनुसार मिसाइल जहां से फायर होनी हो वह दोनों देशों की सीमा से 40 किलोमीटर दूर होनी चाहिए। मिसाइल गिरने का स्थान नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्टीय सीमा से 75 किमी दूर होना चाहिए।