डेस्क न्यूज़: इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने शनिवार को गाजा में अल-जाला नाम की इमारत पर इजरायली सेना के हमले को जायज ठहराया है।
उन्होंने अमेरिकी समाचार चैनल सीबीएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि "फ़लस्तीनी आतंकी संगठन का ख़ुफ़िया दफ़्तर था जो इसराइली नागरिकों पर आतंकी हमलों की योजना बनाता था और अंजाम देता था, इसलिए हमारा निशाना पूरी तरह वैध था।"
इमारत में अल-जज़ीरा और एसोसिएटेड प्रेस जैसे मीडिया संगठन थे। इजरायली सेना ने हमले से पहले इमारत को खाली कराने के लिए एक घंटे का समय दिया था।
PM नेतन्याहू ने पुष्टि की है कि अमेरिकी अधिकारियों को इस हमले की सूचना दी गई थी।
हालांकि बिल्डिंग के मालिक ने हमास से उसके संबंध होने को ख़ारिज किया है।
एसोसिएटेड प्रेस ने इसराइल से सबूत मांगे हैं। वहीं, समाचार एजेंसी एएफपी ने कहा है कि उनके मीडिया सहयोगी गाजा स्थित उनके कार्यालय में आएंगे।
इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक टीवी संबोधन के दौरान अंतरराष्ट्रीय संघर्ष विराम के प्रयासों से इनकार करते हुए कहा कि हमास के खिलाफ उनका सैन्य अभियान "पूरी ताकत के साथ जारी रहेगा"।
रविवार को इजरायल के सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक में उन्होंने कहा, "आतंकवादी संगठनों के खिलाफ हमारा अभियान पूरी ताकत से जारी रहेगा। हम अभी भी कार्रवाई कर रहे हैं और ऐसा तब तक करेंगे जब तक कि ज़रूरत है और आपके लिए इसराइल के नागरिकों के लिए शांति स्थापित न हो जाए। यह समय लेगा।"
PM नेतन्याहू ने कहा कि इसराइल 'आक्रमणकारियों' से सही कीमत लेना चाहता है और उन्हें नाकाम करना चाहता है।
इसके बाद, दोपहर में एक संवाददाता सम्मेलन में नेतन्याहू ने समर्थन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें इस बात का अहसास है कि इस मुद्दे पर उन पर "दवाब" है।
इस सप्ताह तेल अवीव पहुंचे अमेरिकी दूत हैदी अमर ने कई इजरायली नेताओं, इजरायली अरब नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की।
माना जा रहा है कि अमेरिका हमास को एक चरमपंथी संगठन मानता है, इसलिए हैदी अम्र हमास फ़िलिस्तीनी नेताओं से दोबारा नहीं मिलेंगे।
बर्लिन पुलिस ने रविवार को कहा कि फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान 59 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और इस प्रदर्शन में एक दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए है।
पुलिस के मुताबिक जर्मनी की राजधानी के नोएखन जिले में शनिवार दोपहर 3,500 से ज्यादा लोग प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए थे।
प्रदर्शनों को रोकने पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बोतलें और पटाखे छोड़े, जिससे 93 अधिकारी घायल हो गए और उन्हें पेपर स्प्रे का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पुलिस का कहना है कि ज्यादातर लोगों से 'इजरायल विरोधी नारे' लगाने को लेकर पूछताछ की जा रही है।
दिन भर कई प्रदर्शन हुए, जिसके कारण 900 पुलिस कर्मियों को मैदान में उतारा गया, जिनमें से कई प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे।
इज़राइल और गाजा के बीच गहराते संघर्ष के दौरान, जर्मनी में कई प्रदर्शन हुए हैं जिनमें प्रदर्शनकारियों ने यहूदी विरोधी नारे लगाए, इजरायल के झंडे जलाए और यहूदी मंदिरों के दरवाजों को नुकसान पहुंचाया।
जर्मनी की सेंट्रल काउंसिल ऑफ ज्यूस ने रविवार को कहा कि उसे "सोशल मीडिया पर सबसे घृणित यहूदी विरोधी अपमान का सामना करना पड़ा"।
गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को इजरायली सेना के हमलों में हताहतों की संख्या की जानकारी दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि हवाई हमलों में 33 लोगों की मौत हुई है। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया है कि मरने वालों में 12 महिलाएं और 8 बच्चे हैं, जबकि 50 लोग घायल हुए हैं।
राहत और बचाव कार्य में लगे कार्यकर्ता अभी भी हमले में ढही इमारतों के मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं।
इसके साथ ही एक सप्ताह पहले शुरू हुई इस हिंसा में गाजा में मरने वालों की संख्या 181 पहुंच गई है।
वहीं इसराइली अधिकारियों का कहना है कि ताजा हमलों में दो बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हुई है। इसराइल के कई दक्षिणी शहरों पर बीती रात रॉकेट हमले हुए हैं।
इजरायली सेना ने कहा है कि ताजा हमले में हमास ने गाजा से इजरायली क्षेत्र में अब तक सबसे ज्यादा रॉकेट दागे हैं।
मेजर जनरल ओरी गॉर्डिन ने संवाददाताओं से कहा कि हमास ने सोमवार से इस्राइल की ओर करीब 3,000 रॉकेट दागे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस गति से गाजा से रॉकेट दागे गए, वह गाजा के पिछले हमलों और 2006 में लेबनान के हिजबुल्लाह के हमलों से अधिक है।
इजरायल और गाजा में हमास के बीच जारी हिंसा का समाधान खोजने के अंतरराष्ट्रीय प्रयास तेज हो गए हैं।
इजरायल में अमेरिकी दूत हैदी अम्र ने इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ और अन्य सुरक्षा अधिकारियों के साथ बातचीत की है। इधर, मिस्र ने भी दोनों पक्षों के बीच संघर्ष विराम के लिए मध्यस्थता के प्रयास तेज कर दिए हैं।
रविवार को इस्लामिक देशों के एक समूह इस्लामिक सहयोग संगठन की एक महत्वपूर्ण बैठक में सऊदी अरब ने "फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों का उल्लंघन" करने के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया है। फिलहाल बैठक चल रही है।
रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आपात बैठक बुलाई है।
इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मंगलवार को यूरोपीय संघ में शामिल देशों के विदेश मंत्री भी बैठक करेंगे। इस बैठक में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि संघ हिंसा को समाप्त करने के प्रयास में कैसे योगदान दे सकता है।
केंद्रीय विदेश नीति प्रमुख जुसेप बोरेल ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच जारी हिंसा से आम लोगों की मौत हो रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
जर्मन विदेश मंत्री हीको मास ने एक ट्वीट में कहा है कि दोनों पक्षों के बीच चल रही लड़ाई को रोकना बेहद जरूरी है और दोनों के बीच दो राज्यों के लिए बातचीत को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
पोप फ्रांसिस और जर्मन सरकार ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालने की अपील की है।
इसराइली जेट विमानों ने रविवार को लगातार सातवें दिन गाजा में ताजा हमले किए हैं। इन हमलों में गाजा में हमास नेता याह्या अल-सिनवार के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है।
ताजा बम विस्फोट में कितने लोग मारे गए, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि रविवार को हुए इसराइली रॉकेट हमले में अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है। इन हमलों में दो घरों को निशाना बनाया गया।
इससे पहले, इजरायल के प्रधान मंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा था कि उनकी सरकार पूरी ताकत के साथ रॉकेट हमलों का जवाब देगी जब तक कि वे पूरी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर लेते।
उन्होंने कहा, "हम अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होने तक हमलों का जवाब देना जारी रखेंगे। हमने हमास के दर्जनों चरमपंथियों को मार गिराया है और उनके सैकड़ों ठिकानों को नष्ट कर दिया है, जिसमें मिसाइल लांचर और इमारतें शामिल हैं, जहां से ये संगठन योजना बनाते है और हमलो को अंजाम देते थे।
इधर इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री नफ़ताली बेनेट ने इजरायल सरकार के इस कदम का समर्थन किया है और कहा है कि आम नागरिकों की मौत के लिए सीधे तौर पर हमास जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, "हम जितना हो सके सावधानी बरत रहे हैं लेकिन उन्होंने बिना किसी उकसावे के हमारे पड़ोसी पर रॉकेट दागना शुरू कर दिया है और इसके जवाब में हमने हमास के ठिकानों को निशाना बनाया है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि कुछ जानें तो जाएंगी और इसके लिए सीधे तौर पर हमास ज़िम्मेदार है। उन्हें हम पर हमला करने से पहले इस बारे में सोचना चाहिए।"
वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से हिंसा रोकने और शांति बनाए रखने की अपील की है। इजरायल-फिलिस्तीनी मुद्दे पर रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अहम बैठक हुई।
इजरायल के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज के सलाहकार रहे ऐनेट विल्फ का कहना है कि अगर संघर्ष विराम लागू भी कर दिया जाता है, तो भी झगड़ा पूरी तरह से हल नहीं होगा।
वो कहती हैं, "फ़लस्तीनी और अरब के नज़रिए से देखा जाए तो इसराइल का अस्तित्व और यहूदियों के लिए सीमांकित किया एक राष्ट्र नहीं होना चाहिए। वो पीढ़ी दर पी़ढ़ी इसे ख़त्म करने की कोशिश में लगे हैं। वो इस बात को मानते हैं कि इस इलाक़े में अरब और इस्लामिक दुनिया का प्रभुत्व रहना चाहिए। वो यहूदियों के देश को अस्थायी मानते हैं और उनकी पूरी कोशिश होगी कि वो इसे ख़त्म कर दें।"
उन्होंने 2017 में लिखा अपना एक लेख भी ट्वीट किया।