बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस के दिग्गजों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर खूब ताना मारा था। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और ज्योतिरादित्य के दोस्त राहुल गांधी ने भी कहा था कि उन्हें वहां सम्मान नहीं मिलेगा। इस पर ज्योतिरादित्य ने उन्हें जवाब भी दिया था। 17 महीने बाद ज्योतिरादित्य को मोदी कैबिनेट में जगह मिल गई है। सोशल मीडिया पर अब लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरक्की से राहुल गांधी खुश होंगे।
दरअसल, मार्च 2020 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर सिंधिया ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की इस पर प्रतिक्रिया आई थी कि वह बीजेपी में बैक बेंचर हैं।
हमारे यहां होते तो सीएम पद के दावेदार होते। राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि यहां विचारधारा की लड़ाई है।
एक तरफ कांग्रेस और दूसरी तरफ आरएसएस की विचारधारा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की विचारधार को मैं जानता हूं, वो मेरे साथ कॉलेज में थे। राहुल गांधी ने कहा था कि मैं उनको बहुत अच्छे तरीके से जानता हूं।
राहुल गांधी ने कहा था कि ज्योतिरादित्य को अपने पॉलिटिक्ल भविष्य का डर लग गया और उनकी जो विचारधारा थी, उसको अपनी जेब में रख लिया। इसके बाद वह आरएसएस के साथ चले गए। राहुल गांधी ने कहा था कि सच्चाई यह है कि वहां उन्हें कोई सम्मान नहीं मिलेगा, न ही उनके दिल के अंदर जो सच्चाई है, उसको संतुष्टि मिलेगी।
सिंधिया के साथ मेरी पुरानी दोस्ती है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुंह से जो निकल रहा है और उनके दिल में जो चीज है, दोनों अलग-अलग हैं। वहीं, राहुल गांधी की बातों पर सिंधिया ने भी जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि जितनी चिंता अब राहुल गांधी जी को है मेरी, उतनी तब होती, जब मैं कांग्रेस में था। तब अलग बात होती। बस इतना ही मुझे कहना है।
अब ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्री बन गए हैं। ऐसे में राहुल गांधी की पुरानी बातें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हैं। साथ ही लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या राहुल गांधी अपने दोस्त की तरक्की से अब खुश होंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंत्री बनने के बाद राहुल गांधी की कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आई है।
बीजेपी नेतृत्व बखूबी जानता है कि एमपी में बीजेपी की स्थाई सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की ही बनी है। पार्टी ने इनके साथ आए लोगों को भरपूर सम्मान दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिसाब से ही इनके लोगों को प्रदेस में पद मिला है। इसके साथ ही केंद्रीय नेतृत्व के टच में सिंधिया सीधे हैं। इसलिए दिल्ली में इनकी बातें सुनी जाती हैं।