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29 जून से वापस सिख तीर्थयात्रियों के लिए शुरू होगा करतारपुर साहिब कॉरिडोर

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी, पहले 16 मार्च से यात्रा को रोक दिया गया था

savan meena

डेस्क न्यूज –  पाकिस्तान ने शनिवार को सिख साम्राज्य के 19वीं सदी के महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के मौके पर सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने का फैसला किया।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने कहा, "दुनिया भर में धार्मिक स्थलों के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। अब पाकिस्तान भी करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने की तैयारी कर रहा है। इसकी जानकारी भारत को भी दे दी गई है, हम 29 जून को महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के मौके पर इसे सभी सिख श्रद्धालुओं के लिए खोलने की तैयारी कर रहे हैं।"

कोरोना के चलते 16 मार्च से यात्रा को रोक दिया गया था

भारत ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर 16 मार्च को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के लिए तीर्थयात्रा और पंजीकरण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। जिसके बाद पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के जाने पर रोक लग गई थी। 4.2 किमी का कॉरिडोर गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक नगर को पाकिस्तान के नारोवाल जिले में शकरगढ़ तहसील में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के साथ जोड़ता है।


72 साल के लंबे इंतजार के बाद शुरू हुआ था कॉरिडोर

उल्लेखनीय है कि 72 साल के इंतजार के बाद वर्ष 2019 में 9 नवंबर को यह कॉरिडोर खुला था। कॉरिडोर खुलने के बाद 128 दिनों में 62 हजार 2 सौ 6 लोगों ने गुरुद्वारा साहिब के दर्शन किए। … उल्लेखनीय है कि ​गुरुद्वारे से भारत की दूरी नाममात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर ​है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे।


भारत-पाकिस्तान की सरकारों ने 2018 में रखी थी नींव

साल  2018 में भारत और पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर की नीव रखी थी, इसे लेकर दोनों देशों के बीच कुछ विवाद भी हुआ और दोनों ने अपनी-अपनी शर्तें सामने रखीं थी, अंत में दोनों देश एक समझौते पर पहुंच गए।

अक्टूबर 2019 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए भारतीय तीर्थयात्रियों को पवित्र गुरुद्वारे की वीजा-मुक्त यात्रा की अनुमति देने के लिए करतारपुर कॉरिडोर का संचालन करने का एक समझौता हुआ।

सिखों के लिए अहम जगह है करतापुर कॉरिडोर

माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी 1522 में करतारपुर गए थे और उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 18 साल इसी स्थल पर गुजारे थे। ऐसी मान्यता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरुनानक देव जी का देहावसान हुआ था उसी स्थल पर गुरुद्वारा बनाया गया। यह गुरुद्वारा अब सिखों के साथ अन्य धर्म के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र बन गया है।

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