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पंजाब चुनाव में भाजपा ने खेला मास्टरस्ट्रोक: गुरुनानक जयंती पर किसानों को तोहफ़ा, जानिए आने वाले चुनावों पर क्या होगा असर ?

पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर खोलने के बाद बीजेपी ने बड़ा चुनावी मास्टरस्ट्रोक खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की घोषणा की, जो किसानों के विरोध का कारण बने।

Ishika Jain

पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर खोलने के बाद बीजेपी ने बड़ा चुनावी मास्टरस्ट्रोक खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की घोषणा की, जो किसानों के विरोध का कारण बने। पंजाब में साढ़े तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह फैसला भाजपा के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। ध्यान देने की बात यह भी ही की पीएम मोदी ने फैसले के लिए गुरु पर्व के दिन को चुना। जिस समय पूरा सिख समाज पातशाही गुरु नानक देव जी का पहला जन्मदिन मना रहा था, इस बीच भाजपा ने इस घोषणा के साथ सिख समुदाय से भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की है। जानिए इस फैसले से बीजेपी को कैसे होगा फायदा…

1. पंजाब में आसान होगी मुश्किल राहें

पंजाब में कृषि कानूनों की वजह से बीजेपी के लिए राह मुश्किल हो गई थी। किसान करीब 14 महीने से इसका विरोध कर रहे थे। पंजाब में बीजेपी नेताओं को चुनाव प्रचार तो दूर, कोई सभा तक भी नहीं करने दी जा रही थी। ऐसे में यह जरूरी था कि कानूनों को निरस्त किया जाए, क्योंकि इसके बिना भाजपा को भारी राजनीतिक नुकसान होना तय था, जिसका असर देश के अन्य राज्यों के चुनावों पर पड़ना तय था। अब बीजेपी के लिए राह आसान हो सकती है। खासकर इसलिए भी कि बीजेपी अकेले पंजाब में चुनावी मैदान में उतर रही है। वहीं, 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब चुनाव के फैसले से विरोध का संदेश निकल सकता था।

Image credit: CTV News

2. जीत के लिए मजबूत होगा किसान का वोट बैंक

पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 40 शहरी, 51 सेमी अर्बन और 26 ग्रामीण सीट हैं। ग्रामीण और अर्ध-शहरी विधानसभा सीटों पर जीत या हार का फैसला किसानों का वोट बैंक तय करता है। ऐसे में पंजाब चुनाव से पहले बीजेपी के लिए कानून लौटाना फायदेमंद साबित हो सकता है।

3.सिख बहुल सीटों पर पड़ेगा फैसले के समय का असर

पंजाब मालवा, माझा और दोआबा क्षेत्रों में विभाजित है। मालवा में सबसे ज्यादा 69 सीटें हैं। मालवा में ज्यादातर ग्रामीण सीटें हैं, जहां किसानों का दबदबा है। यह क्षेत्र पंजाब की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है। 23 सीटों वाले दोआबा में ज्यादातर दलित बहुल सीटें हैं। माझा, जिसमें 25 सीटें हैं, के पास सिख बहुल सीटें हैं। गुरुपर्व पर लिया गया फैसला भाजपा के लिए सिखों से भावनात्मक रूप से जुड़ने का रास्ता खोलेगा। अगर ये वोट पक्ष में आते हैं तो यह बीजेपी के लिए प्लस प्वॉइंट साबित होगा।

पंजाब में किसान मजबूत, क्योंकि 75% आबादी कृषि में लगी हुई है

पंजाब की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। अगर कृषि है तो न केवल बाजार चलता है, बल्कि अधिकांश उद्योग भी ट्रैक्टर से लेकर कृषि का सारा सामान बनाते हैं। पंजाब में 75% लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़े हैं। सीधे तौर पर शामिल लोगों की बात करें तो इसमें किसान, खेतों में काम करने वाले मजदूर, उनसे फसल खरीदने वाले व्यापारी और खाद – कीटनाशकों के व्यापारी शामिल हैं। परिवहन उद्योग भी उनके साथ जुड़ता है। आढ़तियों से फसल खरीदने और आगे आपूर्ति करने वाले व्यापारी और एजेंसियां ​​भी कृषि से जुड़ी हैं। अगले चरण में शहर से लेकर गांव तक के दुकानदार भी किसानों से जुड़े हुए हैं। फसल अच्छी होती है तो किसान खर्च भी करता है। इसके माध्यम से कई छोटे व्यवसाय भी चलते रहते हैं।

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