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गहलोत सरकार बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन से जुड़े विवादित बिल को लेगी वापस! जानिये क्या है वजह

Ishika Jain

गहलोत सरकार बाल विवाह के पंजीकरण से जुड़े प्रावधान वाले विवादास्पद विधेयक को वापस लेने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधेयक को वापस लेने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 17 सितंबर को ही विधानसभा में पारित हो गया था। इसमें बाल विवाह के पंजीकरण का भी प्रावधान है। विवाद के बाद राज्यपाल ने इस बिल पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। अब सीएम गहलोत ने इस बिल को राजभवन से वापस दिलाने का ऐलान किया है।

विवाह पंजीकरण बिल विवादास्पद

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित वर्चुअल समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- 'राजस्थान में यह विवाद खड़ा हो गया है कि बच्चों की शादी का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। विवाह पंजीकरण विधेयक विधानसभा में पारित हो गया है। यह प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है। हम कानूनी विभाग से इसकी जांच करवा रहे हैं। राज्यपाल से अनुरोध है कि विवाह पंजीकरण बिल सरकार को वापस भेजें। हम इसे दिखाएंगे। हम पहले ही इस पर कानूनी राय ले चुके हैं। यदि आगे कानूनी राय इसके विपरीत आती है, तो हम इसका अनुसरण नहीं करेंगे। गहलोत ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला था कि हर शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि जो कानूनी राय ली जा रही है, उसे आगे बढ़ाया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राजस्थान में किसी भी कीमत पर बाल विवाह न हो, इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

17 सितंबर को बाल विवाह के पंजीकरण से संबंधित विधेयक पर विधानसभा में भारी हंगामा हुआ था। इस बिल के विरोध में बीजेपी ने सदन से वाकआउट किया था। बीजेपी शुरू से ही इस बिल को वापस लेने की मांग करती रही है। इस विधेयक को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में राजस्थान सरकार को एक पत्र लिखा था। आयोग ने विधेयक के प्रावधानों पर पुनर्विचार और समीक्षा करने को कहा था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध भी किया है। विवाद के बाद राज्यपाल ने विधेयक को रोक दिया। अब सीएम के ऐलान के बाद राज्यपाल जल्द ही इस बिल को सरकार को लौटा सकते हैं।

प्रावधान पर है विवाद

विवाह के अनिवार्य पंजीकरण विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि बाल विवाह के 30 दिनों के भीतर लड़के और लड़की के माता-पिता को पंजीकरण के लिए विवाह पंजीकरण अधिकारी को सूचित करना होगा। माता-पिता द्वारा निर्धारित प्रारूप में सूचना देने पर उस विवाह का भी पंजीयन किया जायेगा। इस प्रावधान को लेकर विवाद है, जिसके चलते सरकार इस बिल को वापस लेने जा रही है।

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