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Tokyo Olympics : मीडियम और लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग इवेंट्स में भारत को मेडल का इंतजार, इस बार 10 एथलीट्स पर होगा दारोमदार

जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों में अब सिर्फ 15 दिन का समय बचा है, ये खेल 23 जुलाई से 8 अगस्त तक आयोजित होगें, इसमें भाग लेने 205 देशों के 11 हजार से अधिक एथलीट आ रहे है।

savan meena

Tokyo Olympics : जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों में अब सिर्फ 15 दिन का समय बचा है, ये खेल 23 जुलाई से 8 अगस्त तक आयोजित होगें, इसमें भाग लेने 205 देशों के 11 हजार से अधिक एथलीट आ रहे है। इस ओलिंपिक में 33 खेलों में 339 इवेंट्स होगें। आज हम बात करेंगे एथलेटिक्स में मीडियम और लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग इवेंट्स के बारे में….

एथलेटिक्स में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट बेहद दिलचस्प होता है। इसे 2 कैटेगरी में बांटा गया है। पहला स्प्रिंट होता है, इसमें छोटे और कम समय में खत्म होने वाली रेसिंग होती है। दूसरी मीडियम और लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग होती है। इसमें 800 मीटर रेस से लेकर इससे ऊपर की सारी रनिंग इवेंट्स आती हैं।

इस बार इस इवेंट में 17 गोल्ड मेडल दांव पर

इस बार इसमें 17 गोल्ड मेडल दांव पर हैं। भारत ने अब तक ट्रैक एंड फील्ड में 23 ओलिंपिक में हिस्सा लिया, पर 1900 के बाद कोई भी मेडल नहीं जीत सका है। 1900 में भी नॉर्मन पिचर्ड ने मेडल जीता था, पर वे भारतीय मूल के नहीं थे। ऐसे में इस बार इस इवेंट में हिस्सा ले रहे 10 एथलीट्स पर भारत को मेडल दिलाने का दारोमदार होगा।

एथलेटिक्स की शुरुआत 1896 से, यानी पहले मॉर्डन गेम्स से हुई थी। पहले 2500 मीटर स्टीपलचेज और 5000 मीटर टीम रेस जैसे बड़ी रनिंग इवेंट भी होती थी। हालांकि, 1-2 ओलिंपिक के बाद इन्हें बंद कर दिया गया। विमेंस एथलेटिक्स की शुरुआत 1928 से हुई। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, फिनलैंड, ग्रेट ब्रिटेन और ग्रीस जैसे देश इस इवेंट में सबसे ज्यादा हिस्सा लेने वाले देश हैं।

1952 में शॉर्ट रेस वॉक को एथलेटिक्स में एड किया गया था

1952 में शॉर्ट रेस वॉक को एथलेटिक्स में एड किया गया था। तब से लेकर अब तक कोई नया इवेंट नहीं आया है। इसमें से 3000 मीटर स्टीपलचेज सबसे मजेदार इवेंट्स में से एक है। इसमें खिलाड़ियों को कई बैरियर से पार पाना होता है। सबसे आगे रहने वाला खिलाड़ी विजेता होता है।

800 मीटर की रेस 1896 ओलिंपिक से रनिंग इवेंट्स का हिस्सा रहा है। विमेंस की टीम ने पहली बार 1928 में हिस्सा लिया था। 1960 से यह रेगुलर ओलिंपिक का हिस्सा रहा है। इसमें 3 राउंड होते हैं। क्वालिफाइंग राउंड, सेमीफाइनल स्टेज और 8 रनर्स के बीच फाइनल। इस इवेंट में ओलिंपिक रिकॉर्ड डेविड रुडिशा के नाम रहा है। उन्होंने 2012 लंदन ओलिंपिक में 1:40:91 मिनट में रेस को पूरा किया था। महिलाओं में रिकॉर्ड नादिया ओलिजारेंको के नाम है। उन्होंने 1980 में 1:53:43 मिनट में रेस पूरी की थी।

4 मेन्स प्लेयर्स ने ओलिंपिक में इस इवेंट में लगातार 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। इसमें डगलस लोव (1924/1928), माल व्हाइटफील्ड (1948/1952) , पीटर स्नेल (1960/1964) और डेविड रुडिशा (2012/2016) शामिल हैं। वहीं, महिलाओं में सिर्फ कैस्टर सेमेन्या (2012/2016) ने लगातार 2 गोल्ड जीते। इस इवेंट में कोई भी एथलीट लगातार 2 मेडल से ज्यादा नहीं जीत सका है।

1500 मीटर की एथलेटिक्स का यह इवेंट भी पहले एडिशन से ओलिंपिक का हिस्सा रहा

1500 मीटर की एथलेटिक्स का यह इवेंट भी पहले एडिशन से ओलिंपिक का हिस्सा रहा है। हालांकि, महिलाओं ने पहली बार इस इवेंट में 1972 में हिस्सा लिया था। इसमें 3 फॉर्मेट होते हैं। हीट स्टेज, सेमीफाइनल और 12 एथलीट्स के बीच फाइनल। इस इवेंट का ओलिंपिक रिकॉर्ड नोआ गेनी के नाम है। उन्होंने 2000 ओलिंपिक में 3:32:07 में रेस पूरी की थी। वहीं, महिलाओं में रिकॉर्ड पाओला इवान के नाम है। उन्होंने 1988 में 3:53.96 मिनट का समय निकाला था।

इस इवेंट में सिर्फ 2 एथलीट्स ने 2 बार टाइटल डिफेंड किया है। तातयना कजाकिना लगातार 2 गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली एथलीट हैं। उन्होंने 1976 और 1980 में यह कारनामा किया था। वहीं, सेबेस्टियन कोए ने 1980 और 1984 में लगातार 2 गोल्ड जीते थे।

3000 स्टीपलचेज इवेंट 1920 से ओलिंपिक का हिस्सा रहा

3000 स्टीपलचेज इवेंट 1920 से ओलिंपिक का हिस्सा रहा है। इससे पहले इसमें 2500 मीटर और 4000 मीटर के इवेंट होते थे। विमेंस 3000 मीटर स्टीपलचेज इवेंट को 2008 बीजिंग ओलिंपिक में हिस्सा बनाया गया। इस रेस में एथलीट्स को कई बैरियर से पार पाना होता है। मेन्स के लिए यह 36 इंच और विमेंस के लिए 30 इंच ऊंचा होता है। इसके साथ ही इसमें लैंडिंग एरिया में पानी के कैन भी होते हैं। यह 3.66 मीटर ऊंचा स्क्वायर शेप में होता है। स्टीपलचेज में सिर्फ 2 ही एथलीट्स लगातार 2 बार गोल्ड जीत सके हैं। इसमें वोल्मारी आइसो होलो (1932 और 1936) और इजिकिएल केमबोई (2008 और 2012) शामिल हैं।

मैराथन 1896 से ओलिंपिक का हिस्सा रहा

मैराथन 1896 से ओलिंपिक का हिस्सा रहा है। करीब 90 साल बाद, यानी 1984 में महिलाओं को भी इसमें हिस्सा लेने की अनुमति मिली। 1908 ओलिंपिक में इस इवेंट में 26 मील 385 यार्ड्स यानी 42.195 किलोमीटर रेस करवाई गई। 1924 में इसे ही स्टैंडर्ड मेजर मान लिया गया। मेन्स में ओलिंपिक रिकॉर्ड सैमुअल वानजिरू (2008) के नाम 2:06:32 घंटे में रेस पूरी करने का है।

वहीं, विमेंस में यह रिकॉर्ड टिकी गेलाना के नाम है। उन्होंने 2012 में 2:23:07 घंटे का समय निकाला था। 20 किलोमीटर और 50 किलोमीटर वॉक भी मैराथन जैसा ही इवेंट है। इसमें रेसर्स को धीरे-धीरे वॉकिंग स्टाइल में रेस पूरी करनी होती है।

डेकाथेलॉन की शुरुआत 1912 ओलिंपिक से हुई 

डेकाथेलॉन की शुरुआत 1912 ओलिंपिक से हुई थी। यह इवेंट 10 ट्रैक एंड फील्ड इवेंट को मिलाकर बनाया गया है। इसमें 100 मीटर रेस, लॉन्ग जंप, शॉट पुट, हाई जंप, 400 मीटर रेस, 110 मीटर रेस, डिस्कस थ्रो, पोल वॉल्ट, जैवलीन थ्रो और 1500 मीटर रेस शामिल है। विनर की घोषणा सभी इवेंट्स में हासिल किए गए पॉइंट्स बेसिस पर होती है। इसे जीतने वाले को वर्ल्ड्स ग्रेटेस्ट एथलीट के पुरस्कार से नवाजा जाता है। डेकाथेलॉन का वर्ल्ड रिकॉर्ड फ्रांस के केविन मेयर के नाम है। उन्होंने 2018 में इस इवेंट में 9126 पॉइंट्स बनाए थे।

 महिलाओं में डेकाथेलॉन की जगह हेप्टाथेलॉन खेला जाता है। इसमें 7 ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स शामिल हैं। इसे ओलिंपिक में पहली बार 1984 में शामिल किया गया था। 7 इवेंट्स में 100 मीटर हर्डल्स, हाई जंप, शॉट पुट, 200 मीटर रेस, लॉन्ग जंप, जैवलीन थ्रो और 800 मीटर रेस शामिल है। विमेंस हेप्टाथेलॉन में वर्ल्ड रिकॉर्ड अमेरिकी एथलीट जैकी जोएनर कर्सी के नाम है। उन्होंने 1988 में 7291 पॉइंट अर्जित किए थे।

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