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संयुक्त राष्ट्र में 3 महापुरुषों का जिक्र: मोदी ने चाणक्य की कूटनीति, दीनदयाल के अंत्योदय और टैगोर के निर्भयता के सिद्धांत का हवाला दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित किया। 18 मिनट के भाषण में उन्होंने वैश्विक सहयोग, वैक्सीन और आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर जोरदार तरीके से बात की. भाषण की शुरुआत में भारतीय लोकतंत्र की विविधता और परंपराओं का महत्व बताया गया। भारत के गौरवशाली इतिहास को बताया और संयुक्त राष्ट्र को भी इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने की सलाह दी।

Manish meena

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित किया। 18 मिनट के भाषण में उन्होंने वैश्विक सहयोग, वैक्सीन और आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर जोरदार तरीके से बात की. भाषण की शुरुआत में भारतीय लोकतंत्र की विविधता और परंपराओं का महत्व बताया गया। भारत के गौरवशाली इतिहास को बताया और संयुक्त राष्ट्र को भी इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने की सलाह दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित किया

पीएम ने भारत के 3 महापुरुषों का नाम लिया। उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र को इसकी प्रभावशीलता बनाए रखने की सलाह दी। पीएम ने चाणक्य की कूटनीति, दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय और गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के निडरता के सिद्धांत का हवाला दिया। आइए जानते हैं मोदी ने इन महापुरुषों का नाम लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में किन संदर्भों को सामने रखा।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय: एकात्म मानववाद और अंत्योदय

मोदी ने जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अभिन्न मानवतावाद और अंत्योदय का जिक्र किया। कहा- मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं कि 'यस डेमोक्रेसी कैन डिलेवर' यानी लोकतंत्र ही परिणाम दे सकता है। उपाध्याय एकात्म मानववाद कहते थे। यह पूरी मानवता का विचार है। अंत्योदय विचार है। विकास सर्वसमावेशी और सर्वव्यापी हो या सर्व उपलब्ध हो।

हमने 7 साल में 43 करोड़ लोगों को बैंकिंग और 50 करोड़ लोगों को क्वालिटी हेल्थ सेक्टर से जोड़ा है। बड़े संगठनों ने माना है कि देश के नागरिकों के पास जमीन का रिकॉर्ड होना जरूरी है। दुनिया के कई देशों में ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन का रिकॉर्ड नहीं है। हम भारत में ड्रोन मैपिंग कराकर लोगों को जमीन का रिकॉर्ड दे रहे हैं। इससे लोगों को बैंक कर्ज और मालिकाना हक मिल रहा है। दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। जब भारत विकसित होता है तो विश्व का विकास होता है। जब भारत सुधार करता है तो दुनिया बदल जाती है।

आचार्य चाणक्य: काम सही समय पर न हो तो समय उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देगा

प्रधान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए भारत के महान राजनयिक आचार्य चाणक्य की सिख दी । कहा- आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था- कालातिक्रम, कालएव फलन तीमति। यानी जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता है, तो समय ही उस सही काम की सफलता को नष्ट कर देता है।
यदि संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी प्रभावशीलता बनाए रखनी होगी। यूएन पर आज कई सवाल उठ रहे हैं। हमने इन सवालों को जलवायु और कोविड संकट के दौरान देखा है। आतंकवाद और अफगानिस्तान संकट ने इन सवालों को गहरा कर दिया है।

रवींद्रनाथ टैगोर: सब दुर्बल, अपने शुभ पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ें

संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा- मैं नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों के साथ भाषण समाप्त करना चाहूंगा। उन्होंने कहा था- सब दुर्बल अपने शुभ पथ पर निर्भीक होकर बढ़ें, सभी कमजोरियां और शंकाएं समाप्त हो जाएंगी। यह संदेश संयुक्त राष्ट्र के लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना कि हर जिम्मेदार देश के लिए। हमारे संयुक्त प्रयास से विश्व में शांति बढ़ेगी। विश्व को स्वस्थ और समृद्ध बनाएगा।

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