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मोदी के आर्थिक सलाहकार, लोग तंगहाल होते तो जनधन खाते भरे न होते

सुब्रमण्यम ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि अगर लोगों की तंगी होती कि जनधन खाते भरे न होते।

Sidhant Soni

न्यूज़- लॉकडाउन में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक निजी चैनल से बात करते हुए मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि ग्रामीण भारत की स्थिति उतनी भी बुरी नहीं है, जितनी बताई जा रही है। उन्होंने इंडिया टुडे चैनल के साथ इंटरव्यू के दौरान कहा कि अगर लोगों की तंगी होती कि जनधन खाते भरे न होते। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों के जनधन खाते में जमा पैसा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ये दर्शाता है कि ग्रामीण इलाकों में हालात उतने खराब नहीं हैं, जितने कहे जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ये हम जान रहे हैं कि कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है। सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर और गरीब वर्ग के लोग हुए हैं। उनके पास न काम है और न ही पेट भरने का साधन । उन्होंने मोदी सरकार के कदम की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने उनकी जरूरत को समझा और पहले लॉकडाउन की घोषणा होने के साथ ही 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही दूसरे राहत पैकेज का ऐलान करेगी। इसकी तैयारियां चल रही है। हर सैक्टर को ध्यान में रखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने करीब 30 करोड़ जनधन खातों में 500-500 की दो किस्त जमा कर चुकी है। 18 मार्च को जनधन खातों में 1.18 लाख करोड़ रुपए जमना थे, जो 15 अप्रैल को 1.33 लाख करोड़ रुपए हो गई। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में रफ्तार पकड़ेगी। सरकार स्टिमुलस पैकेज पर विचार कर रही है। इसके लिए पंड जुटाने को लेकर तैयारी चल रही है। हालांकि उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं कि कि दूसरा राहत पैकेज कितना बड़ा होगा। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इसकी तुलना अमेरिका, इंग्लैंड जैसे अमीर देशों से करना ठीक नहीं होगा।

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