लक्षद्वीप समूह के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ विरोध के सुर तेज होते जा रहे हैं। बीजेपी के अंदर से भी आवाजें उठने लगी हैं। राष्ट्रपति और गृहमंत्री से शिकायत के बाद पार्टी की युवा मोर्चा के 8 सदस्य पिछले 2 दिनों में इस्तीफा दे चुके हैं। तानाशाही प्रशासन का आरोप लगाते हुए और भी पदाधिकारी इस्तीफा दे सकते हैं।
इस्तीफा देने वालों की पहली कतार में शामिल युवा मोर्चा के पूर्व महासचिव
पी. पी. मोहम्मद हाशिम ने कहा, 'हमने इस द्वीपसमूह में विकास के मकसद
से बीजेपी जॉइन किया था। लेकिन प्रशासन किसी की भी नहीं सुन रहा है और
जबरन अपने फैसले थोप रहा है। इन नियमों से लक्षद्वीप के
निवासियों की जिंदगी में समस्याएं पैदा होंगी,
इसलिए विरोध के तौर पर हमने यह फैसला लिया।'
हाशिम के अलावा पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एम. सी. मुथुकोया, पूर्व कोषाध्यक्ष बी. शुकूर,
पूर्व अध्यक्ष एम. मोहम्मद तथा पार्टी के सदस्य पी. पी. जम्हार, अनवर हुसैन, अफसल एन.,
रमीस एन. ने पार्टी को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया।
इन सभी ने इस्तीफे के साथ ही पार्टी को लिखे पत्र में प्रशासन के
एकतरफा और मनमानेपूर्ण रवैये को जिम्मेदार ठहराया।
लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ जनविरोधी फैसलों का आरोप लगा है। पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी लोगों में से एक पटेल पर कोरोना के कुप्रबंधन और स्थानीय लोगों की परंपराओं पर गलत टिप्पणी करने का आरोप है। सीपीएम से लेकर बीजेपी तक के नेताओं ने केंद्र एवं राष्ट्रपति से मांग की है कि वह प्रफुल्ल पटेल को प्रशासक के पद से हटा दें।
दरअसल, लक्षद्वीप के प्रशासन ने हाल ही में एक ऐसे कानून को मंजूरी दी है, जिसमें गाय और बैल की हत्या को प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया है। इसके अलावा प्रशासन ने एक ऐसा फैसला भी लिया है, जिसमें शराब की बिक्री को बढ़ाने की नीति बनाई गई है। इन मुद्दों को लेकर तमाम राजनीतिक लोगों से लेकर स्थानीय निवासी भी प्रशासन का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वालों में सांसद मोहम्मद फैजल भी शामिल हैं, जिनका कहना है कि प्रशासक लोगों के खाने-पीने की परंपराओं को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा उनके मनमाने फैसलों से लक्षद्वीप की परंपराओं को भी नुकसान हो रहा है।
प्रशासक के खिलाफ विरोध का आलम यह है कि केरल के नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से शिकायत करके कहा है कि वह जल्द से जल्द प्रफुल्ल पटेल को वापस बुला लें। इसके अलावा राज्यसभा सांसद ई. करीम ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से प्रफुल्ल को पदमुक्त करने की मांग की है।
लक्षद्वीप को लंबे समय से गैर मादक इलाके के रूप में जाना जाता है। यहां रहने वाली कुल जनसंख्या के 97 फीसदी लोग मुस्लिम हैं जो कि मांसाहार का सेवन करते हैं। वहीं पीएम मोदी के करीबी रहे प्रफुल्ल पर ये आरोप है कि वह बीजेपी के बीफ बैन वाले एजेंडे को लक्षद्वीप में लागू कराने को सारी नीतियां बना रहे हैं। इसके विरोध में स्थानीय स्तर पर तमाम लोगों का प्रदर्शन भी हो रहा है। लक्षद्वीप में तीन लोगों को इन प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है। इनमें से 2 प्रदर्शनकारी स्टूडेंट हैं, जिन पर प्रशासक को आपत्तिजनक मेसेज करने का आरोप है।
प्रशासक पर लक्षद्वीप में कोरोना के कुप्रबंधन का भी आरोप है। सांसद मोहम्मद फैजल ने ही आरोप लगाया है कि प्रशासक ने पहले से बने कोरोना प्रोटोकॉल में ढील देकर क्वारंटीन के नियमों को शिथिल कर दिया। इन नियमों के बदलने के बाद यहां आने वाले लोगों के कारण कोविड का संक्रमण इलाके में तेजी से फैला और अब ये हिस्सा देश के सर्वाधिक कोविड प्रभावित हिस्सों में से एक बन गया है।