पाकिस्तान में घरेलू हिंसा के खिलाफ लाया गया एक बिल विवादों में घिर गया है। बिल के पक्ष और विपक्ष में सोशल मीडिया से लेकर संसद तक बहस चल रही है। बिल के समर्थकों का कहना है कि ये बिल घरेलू हिंसा के शिकार लोगों खासतौर पर महिलाओं को शोषण से बचाएगा। वहीं, बिल का विरोध करने वालों का तर्क है कि ये बिल पाकिस्तान के संविधान के साथ-साथ जीवन जीने के इस्लामी तौर तरीकों का उल्लंघन करता है।
इमरान सरकार डोमेस्टिक वॉयलेंस (प्रिवेंशन एंड प्रोटेक्शन) बिल, 2021 लेकर आई है। बिल में किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है। घरेलू हिंसा के किसी भी कृत्य के लिए कम से कम 6 महीने और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही ऐसे मामलों में अपराधी पर 20 हजार से लेकर 1 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माना नहीं देने पर 3 महीने की अतिरिक्त सजा देने का भी प्रावधान।
इस बिल को संसद में पाकिस्तान की मानव अधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने पेश किया। उनका कहना है कि इससे घरेलू हिंसा पीड़ितों के लिए एक कानूनी ढांचा बनाया जाएगा। ऐसा करने से पीड़ितों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी। साथ ही घरेलू हिंसा करने वालों को कानूनन अपराधी मानकर सजा दी जा सकेगी।
मजारी के मुताबिक, इस बिल का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और समाज के कमजोर लोगों को घरेलू हिंसा से बचाना है। घरेलू हिंसा के शिकार सभी लोगों को सरकार की तरफ से पुनर्वास में भी मदद की जाएगी।
पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक बड़ी समस्या है। आए दिन अलग-अलग रिपोर्ट में इस बात को प्रमुखता से उठाया जाता रहा है।
पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग की 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के 430 केस सामने आए थे, जिनमें 363 महिलाओं की मौत हुई थी। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भी 153 देशों में पाकिस्तान 151वें स्थान पर है।
इस्लामाबाद के औरत फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में देशभर के 25 जिलों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 2,297 मामले सामने आए हैं। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने एक सर्वे में महिलाओं के लिए सबसे खराब देशों की लिस्ट में पाकिस्तान को छठे नंबर पर रखा है। लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी हुई है। 2020 में मार्च से लेकर दिसंबर तक केवल खैबर पख्तूनख्वा इलाके में ही घरेलू हिंसा से जुड़े मामले 45% बढ़े हैं।
बिल का विरोध करने वालों का कहना है कि ये पाकिस्तानी संविधान के आर्टिकल 31 का उल्लंघन करता है। आर्टिकल 31 पाकिस्तानी मुसलमानों को इस्लामी तौर-तरीकों से जीवन जीने का अधिकार देता है। बिल का विरोध करने वाले ट्विटर पर #WeRejectDomesticViolenceBill नाम से कैंपेन भी चला रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि ये बिल पाकिस्तान में परिवार व्यवस्था को नष्ट करने के लिए लाया गया है। विरोधियों का दावा है कि ये बिल कुरान और सुन्नत और पूर्वी परंपराओं के खिलाफ है।