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पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को किया सलाम, जानें CSIR की सलाना बैठक में क्या-क्या बोले मोदी

Manish meena

1970 के दशक में जब देश में बेबी मिल्क फूड इम्पोर्ट किया जाता था उस समय सीएसआईआर ने आगे आते हुए देश में पहली बार भैस के दूध से बेबी फूड तैयार करने का प्रोसेस विकसित किया था। इसके बाद भारत की बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई थी। ऐसे ही एड्स की दवा से लेकर स्वदेशी सुपर कम्प्यूटर, एयरो साइंस में सारस से लेकर तेजस के विकास में सीएसआईआर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इसी वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)की सालाना बैठक को संबोधित किया।

हमारे वैज्ञानिकों ने एक साल के भीतर ही वैक्सीन बनाई

पीएम मोदी ने बीती शताब्दी का अनुभव है कि जब पहले कोई खोज दुनिया

के दूसरे देशों में होती थी तो भारत को उसके लिए कई साल इंतज़ार करना

पड़ता था। लेकिन आज देश के वैज्ञानिक दूसरे देशों के साथ कंधे से कंधा

मिलाकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने 1 साल में ही मेड

इन इंडिया कोरोना वैक्सीन बनाई।

पीएम ने कहा कि मैं इसके लिए सभी वैज्ञानिकों का धन्यवाद करता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती आज हमारे सामने है।

कोरोना संकट ने रफ्तार में कमी की लेकिन संकल्प में कमी नहीं है।

शांतिस्वरूप भटनागर जैसे महान वैज्ञानिक ने इस संस्था को नेतृत्व दिया है

पीएम ने कहा कि किसी भी देश में साइन्स और टेक्नालॉजी उतनी ही ऊंचाइयों को छूती है,

जितना बेहतर उसका इंडस्ट्री से, मार्केट से संबंध होता है।

हमारे देश में CSIR साइन्स, सोसाइटी और इंडस्ट्री की

इसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक इंस्टीट्यूशनल अरेंजमेंट का काम करता है।

हमारी इस संस्था ने देश को कितनी ही प्रतिभाएं दी हैं, कितने ही वैज्ञानिक दिये हैं।

शांतिस्वरूप भटनागर जैसे महान वैज्ञानिक ने इस संस्था को नेतृत्व दिया है।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की देशभर में आज 38 वैज्ञानिक शोध प्रयोगशालाएं विज्ञान के विविध क्षेत्रों में काम कर रही हैं

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की देशभर में आज 38 वैज्ञानिक शोध प्रयोगशालाएं विज्ञान के विविध क्षेत्रों में काम कर रही हैं। इनकी स्थापना का श्रेय डॉ शांति स्वरूप भटनागर को जाता है। वह मशहूर भारतीय वैज्ञानिक और अकादमिक प्रशासक थे। उनको भारत की फादर ऑफ रिसर्च लैब कहा जाता है। डॉ भटनागर ने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं। इनमें मैसूर में केन्द्रीय खाद्य प्रोसैसिंग प्रौद्योगिकी संस्थान, पुणे में राष्ट्रीय रासायनिकी प्रयोगशाला, दिल्ली में नेशनल फिजिक्स लैब, जमशेदपुर में नेशनल मैटलर्जी लैब और केन्द्रीय ईंधन संस्थान, धनबाद शामिल है।

दुनिया के विकास में प्रमुख इंजन की भूमिका

पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत, एग्रिकल्चर से एस्ट्रॉनॉमी तक, डिजास्टर मैनेजमेंट से डिफेंस टेक्नॉलॉजी तक, वैक्सीन से वर्चुअल रियलिटी तक, बायोटेक्नालजी से लेकर बैटरी टेक्नालजीज़ तक, हर दिशा में आत्मनिर्भर और सशक्त बनना चाहता है। आज भारत सतत विकास और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। आज हम सॉफ्टवेयर से लेकर सैटेलाइट तक, दूसरे देशों के विकास को भी गति दे रहे हैं, दुनिया के विकास में प्रमुख इंजन की भूमिका निभा रहे हैं।

विज्ञान से तैयार होंगे बेहतर भविष्य के रास्ते

कोरोना वैश्विक महामारी, पूरी दुनिया के सामने इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बनकर आई है। लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है, जब जब मानवता पर कोई बड़ा संकट आया है, विज्ञान ने और बेहतर भविष्य के रास्ते तैयार कर दिए हैं।

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